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PM ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की वर्षगांठ पर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेकर देश के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती देने वाले सभी सेनानियों को मंगलवार को याद किया और आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और संप्रदायवाद से मुक्त 'नए भारत के निर्माण के लिए संकल्प से जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट में कहा, ''आज उन सभी को याद कर रहा हूं जिन्होंने बापू के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेकर स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती दी थी।

प्रधानमंत्री ने इस ट्वीट के साथ एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के जन आंदोलन में परिवर्तित होने और फिर इसके फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को देश को मिली आजादी के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ''नौ अगस्त को ऐसा बिगुल बजा कि पांच वर्ष के भीतर, 1947 में अंग्रेजों को जाना पड़ा। अगर सवा सौ करोड़ देशवासी नौ अगस्त यानी क्रांति दिवस को याद करें और इस 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प ले….।

हमें इसी संकल्प से जुड़ना है कि गंदगी भारत छोड़ो, गरीबी भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, आंतकवाद भारत छोड़ो, जातिवाद भारत छोड़ो, संप्रदायवाद भारत छोड़ो…आज आवश्यकता 'करेंगे या मरेंगे की नहीं बल्कि नए भारत के निर्माण के संकल्प के साथ जुड़ने की है। जरूरत सफलता पाने के लिए जी जान से जुट जाने और प्रयास करने की है। 'भारत छोड़ो आन्दोलन' या 'अगस्त क्रान्ति भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी लड़ाई थी, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया था।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ इस निर्णायक आंदोलन की शुरुआत आज ही के दिन 1942 में हुई थी।

महात्मा गांधी ने आठ अगस्त को क ांग्रेस के बंबई अधिवेशन में 'करो या मरो के नारे के साथ 'अंग्रेजो, भारत छोड़ो का आह्वान किया था। इसके बाद अंग्रेजों ने इस आंदोलन में भाग लेने वाले कई नेताओं व आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन लोग इससे जुड़ते चले गए। मोदी ने समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण के उस कथन को भी ट्विटर पर साझा किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ''नौ अगस्त हमारी राष्ट्रीय क्रांति का जीवंत प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की, नौ अगस्त 1942 को बंबई मनीषा

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