प्रसिद्ध वरिष्ठ वैज्ञानिक व खगोलशास्त्री डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन पर पीएम मोदी ने जताया दु:ख

प्रसिद्ध वरिष्ठ वैज्ञानिक व खगोलशास्त्री डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन पर पीएम मोदी ने जताया दु:ख
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मंगलवार को प्रसिद्ध खगोलशास्त्री, लेखक और विज्ञान संचारक डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर के निधन पर शोक व्यक्त किया। डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर का 86 वर्ष की उम्र में मंगलवार तड़के पुणे स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय वैज्ञानिक समुदाय में शोक की लहर है।
पीएम मोदी ने पोस्ट में लिखा- ‘डॉ. जयंत नार्लीकर का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति’
इस संबंध में पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा “डॉ. जयंत नार्लीकर का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वे एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे, खासकर खगोल भौतिकी के क्षेत्र में। उनके अग्रणी कार्यों, खासकर प्रमुख सैद्धांतिक रूपरेखाओं को शोधकर्ताओं की पीढ़ियों द्वारा महत्व दिया जाएगा। उन्होंने एक संस्थान निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाई, युवा दिमागों के लिए सीखने और नवाचार के केंद्रों को तैयार किया। उनके लेखन ने विज्ञान को आम नागरिकों के लिए सुलभ बनाने में भी काफी मदद की है। इस दुःख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भी डॉ. जयंत नार्लीकर को अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने आज कैबिनेट की बैठक में डॉ. जयंत नार्लीकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, साथ ही राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किए जाने का आदेश दिया है।
डॉ. जयंत नार्लीकर परिवार के सदस्यों के अनुसार, उनका जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में हुआ था। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. करने वाले नार्लीकर ने ब्रह्माण्ड विज्ञान और सापेक्षता पर महत्वपूर्ण शोध किया था। उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर ‘हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) और इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी (आईयूसीएए) में बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान के प्रसार के लिए मराठी में कई किताबें भी लिखीं।
विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित
डॉ. जयंत नार्लीकर को पद्म भूषण, पद्म विभूषण और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनके कार्य से भारतीय खगोल विज्ञान को वैश्विक सम्मान मिला। उन्होंने विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ‘वायरस’, ‘यक्ष का उपहार’, ‘अरस्तू का संदेश’ और ‘ब्रह्मांड के सात आश्चर्य’ जैसी मराठी-अंग्रेजी पुस्तकें लिखीं। उनके लेखन ने खगोल विज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संचार किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के दिए निर्देश
वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने डॉ. नार्लीकर की बेटी से फोन पर बातचीत कर उन्हें सांत्वना दी। मुख्यमंत्री ने संबंधित एजेंसियों को डॉ. नार्लीकर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार का निर्देश दिया। इस बीच आज मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
डॉ. जयंत नार्लीकर ने खगोल विज्ञान के लिए एक ठोस आधार तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, ‘डॉ. भारतीय खगोल विज्ञान के लिए एक ठोस आधार तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नार्लीकर ने अमूल्य योगदान दिया। अपने गणितज्ञ पिता से विरासत लेते हुए डॉ. नार्लीकर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खगोलीय अनुसंधान में बहुमूल्य योगदान दिया। उनके शोध कार्य को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों द्वारा मान्यता दी गई है।
भारत लौटने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उन्हें अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र की स्थापना की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने इसका प्रबंधन भी अच्छी तरह से किया। उन्होंने इस संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा और अनुसंधान के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी स्थापित किया। ‘बिग बैंग थ्योरी’ पर काम करते हुए, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ के ब्रह्मांड विज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।