मौसम डेटा स्रोत: रायपुर मौसम
national

बिलकीस मामले में सजा माफी पर विचार करना गुजरात सरकार का अधिकार क्षेत्र नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली, आठ जनवरी (ए)। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि गुजरात सरकार के पास राज्य में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई सजा की छूट के लिए आवेदन पर विचार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि केवल उस राज्य की सरकार जहां अपराधियों को सजा सुनाई गई थी, छूट के लिए आवेदन पर विचार करने और आदेश पारित करने के लिए सक्षम थी।न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि घटना की जगह या दोषियों के कारावास की जगह प्रासंगिक नहीं हैं, यह देखते हुए आवेदनों पर विचार करने का अधिकार महाराष्ट्र को है न कि गुजरात को।

पीठ ने कहा, “गुजरात राज्य सरकार (यहां प्रतिवादी संख्या 1) के पास छूट के लिए आवेदनों पर विचार करने या 10 अगस्त, 2022 को प्रतिवादी संख्या 3 से 13 (दोषियों) के पक्ष में छूट के आदेश पारित करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था क्योंकि सीआरपीसी की धारा 432 की उपधारा (7) के अर्थ में वह उपयुक्त सरकार नहीं थी।”

उसने कहा, “जब किसी प्राधिकारी के पास किसी मामले से निपटने का अधिकार क्षेत्र नहीं है या यह मौजूदा मामले में प्राधिकारी यानी गुजरात राज्य की शक्तियों के भीतर नहीं है, तो सीआरपीसी की धारा 432 के तहत छूट के आदेश पारित करने के लिए उपयुक्त सरकार होनी चाहिए। माफी के आदेशों के टिकने के लिए कोई आधार नहीं है।”

गुजरात सरकार पर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को दी गई छूट को रद्द कर दिया। उसने यह भी कहा कि गुजरात की कार्रवाई महाराष्ट्र सरकार की “शक्ति हड़पने” के समान है।

बिलकीस बानो द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को खतरे में डालने की आशंका व्यक्त करने के बाद, गुजरात उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई अहमदाबाद से मुंबई स्थानांतरित कर दी थी।

Related Articles

Back to top button