
रायपुर. देश के साङ अपने राज्य छत्तीसगढ़ में मुनाफाखोरी का जमकर खेल चल रहा है। किराना सामानों से लेकर हर तरह के सामानों में एक तरह का पूरे बाजार में सिंडीकेट बन गया है। यह सिंडीकेट एक-एक सामान को टारगेट करके दाम बढ़ाने का काम कर रहा है। अब लहसुन का ही उदाहरण ले लें। दस माह में इसके दाम दस गुना बढ़ गए हैं। जो लहसुन इस साल फरवरी में चिल्हर में 35 रुपए किलो में बिक रही थी, वह दिसंबर में अब 350 रुपए किलो हो गई है। थोक और चिल्हर के बीच में अंतर भी सौ रुपए से ज्यादा का है। चिल्हर में ज्यादा मुनाफाखोरी चल रही है। चिल्हर में दाम का कोई माई-बाप नहीं है। जिसकी जितनी मर्जी उतने दाम ले लेता है।
महंगाई ने आम इंसान जीना मुश्किल कर दिया है। इसमें संदेह नहीं है कि कई सामानों की कीमत वास्तव में किसी कारणवश बढ़ जाती है, लेकिन बहुत से सामान ऐसे हैं जिनके दाम बढ़ाने का काम कारोबारियों का बड़ा सिंडीकेट करता है। आज ऐसा कोई बाजार नहीं है जहां पर सिंडीकेट काम न कर रहा हो। सब्जी बाजार तक में सिंडीकेट बनाकर दाम तय करके खोले जाते हैं। चिल्हर कारोबारियों ने भी वाट्सएप ग्रुप बनाकर रखा है। एक दिन पहले जिस सब्जी या अन्य किसी सामान के जो दाम रहते हैं, दूसरे दिन अचानक डबल भी हो जाते हैं। ग्राहक कुछ न कह पाता न कर पाता है।
अब लहसुन की कीमत में लगी आग
प्याज के बाद अब लहसुन की कीमत में बड़ी आग लग गई है। इतिहास में पहली बार चिल्हर में इसकी कीमत 350 रुपए तक पहुंच गई है। राजधानी रायपुर के अलग-अलग बाजारों में कीमत भी अलग-अलग है। शास्त्री बाजार, भाठागांव, पुरानी बस्ती के सब्जी बाजार में जहां इसकी कीमत 80 रुपए पाव है, वहीं डगनिया बाजार, महोबा बाजार में इसकी कीमत कहीं पर 80 रुपए तो कहीं पर 90 रुपए पाव है। किराना दुकानों में भी यही हाल है कहीं इसकी कीमत 80 रुपए तो कहीं 90 रुपए पाव है।
इतिहास में पहली बार इतनी कीमत
कारोबारियों का कहना है कि लहसुन के दाम कभी इतने नहीं हुए थे। करीब दस साल पहले इसकी कीमत थोक में दो सौ रुपए गई थी। लेकिन तब चिल्हर में इसकी कीमत 60 रुपए पाव से ज्यादा नहीं थी। लेकिन इस समय थोक में इसकी कीमत 240 से 250 रुपए है तो चिल्हर में दाम ज्यादा लिए जा रहे हैं। चिल्हर काराबोरियों का अपना तर्क है। ये कहते हैं कि बोरी में लाने के बाद दो से तीन किलो लहसुन खराब निकल जाती है। ग्राहक तो छांट कर ही लेते हैं। ऐसे में 60 से 65 रुपए पाव के हिसाब से लाने के बाद इसको 70 से 75 रुपए में बेचना कैसे संभव होगा।
कम फसल होने का रोना
लहसुन की कीमत इतनी ज्यादा होने का कारण कारोबारी यह बता रहे हैं कि इसकी फसल इस साल कम हुई है। इसके पहले पिछले तीन साल तक मप्र और राजस्थान में डबल फसल होने के कारण इसकी कीमत कम रही है, लेकिन इस बार फसल कम और खराब होने के कारण दाम बढ़े हैं। कारोबारी यह भी मानते हैं कि इस बार दाम बहुत ज्यादा हो गए हैं। जनवरी में नई फसल आने के बाद दाम कम होने की संभावना है।