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मॉनसून के 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना

मॉनसून के 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना

 नयी दिल्ली ।दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मंगलवार को बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी। मौसम विभाग ने कहा कि पिछले दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी वर्षा हुई।

इस अवधि में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के ऊपर पश्चिमी हवाओं के प्रभाव में वृद्धि हुई है। आईएमडी ने बताया कि ‘आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन’ (ओएलआर) भी इस क्षेत्र में कम हुआ है जो बादल छाए रहने का सूचक है। ओएलआर से तात्पर्य पृथ्वी की सतह, वातावरण और बादलों द्वारा उत्सर्जित इंफ्रारेड विकिरण से होता है जो बाद में अंतरिक्ष में जाकर खो जाता है। मौसम विभाग ने कहा कि ये स्थितियां इस क्षेत्र में मॉनसून के आगमन के लिए अनुकूल मानकों को पूरा करती हैं। मौसम विभाग ने कहा कि अगले तीन से चार दिनों में दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र के अधिकतर भाग, दक्षिण बंगाल की खाड़ी के अधिकतर क्षेत्रों, संपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर के शेष भागों और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। प्राथमिक वर्षा प्रणाली के एक जून की सामान्य तिथि से पहले 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है।

आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, अगर मॉनसून उम्मीद के अनुरूप केरल पहुंचता है तो 2009 के बाद से भारतीय भूमि पर इसका समय से पूर्व आगमन होगा। 2009 में मॉनसून 23 मई को शुरू हुआ था। आम तौर पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू हो जाता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। अप्रैल में आईएमडी ने 2025 के मॉनसून के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान जताया था और ‘अल नीनो’ की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया था जो भारतीय उप महाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा का कारण बनता है। ‘अल नीनो’ एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जो तब होती है जब पूर्वी प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के पास समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। यह गर्म पानी वायुमंडल को गर्म करता है, जिससे नमी युक्त हवा ऊपर उठती है और तूफान में बदल जाती है। ‘अल नीनो’ की स्थिति भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा का कारण बनती है। मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान देता है। यह देश भर में पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।  

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