धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव
- हंगामे के बीच संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित
- कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सरकार को घेरने पर विचार-विमर्श
- इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 बी के तहत पेश किया
नई दिल्ली। इंडी गठबंधन (आईएनडीआईए) ने मंगलवार को उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इसमें उन पर सदन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, यह प्रस्ताव बहुमत न होने के कारण गिर जाएगा लेकिन देश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। इस प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 बी के तहत पेश किया गया है। इसके तहत 50 सांसदों का अविश्वास प्रस्ताव पर एक राय होना अनिवार्य है। विपक्षी दल लगातार सभापति जगदीप धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही को नियंत्रित करने के तौर-तरीकों पर अपनी नाराजगी दर्ज कराते आए हैं। उनका आरोप है कि सभापति संबोधन में लगातार व्यवधान, महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपर्याप्त बहस और विवादास्पद चचार्ओं के दौरान सत्ता पक्ष को लेकर उनके साथ पक्षपात करते हैं।
इस मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन- आईएनडीआईए ब्लाक के घटक दल भी लगातार सदन में पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाते रहे हैं। इसको लेकर सदन में लगातार गतिरोध बना हुआ है। विपक्ष ने 9 दिसंबर को हुए व्यवधान के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए गठबंधन दलों के नेताओं के साथ बात की और देर शाम तक तय हो गया कि गठबंधन अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा। इस अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए लिखा कि राज्यसभा के सभापति के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश करना इंडी गठबंधन के लिए मजबूरी थी। उनके पास और कोई विकल्प नहीं रह गया था। सभापति सदन की कार्यवाही को बेहद पक्षपातपूर्ण रवैये के साथ संचालित कर रहे थे।
विपक्षी दलों के लिए यह बेहद कष्टदायी फैसला था लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हितों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाना अनिवार्य हो गया था। इस प्रस्ताव को लेकर सदन की कार्यवाही के जानकारों का मानना है कि अपने आप में यह पहला मामला है। इसलिए इसके तकनीकी पहलुओं को लेकर स्पष्टता का अभाव है। जैसे अविश्वास प्रस्ताव के लिए 14 दिन का समय सदन के लिए शेष होना चाहिए। तभी यह एजेंडे में आ सकता है, जबकि शीतकालीन सत्र में 10 दिन का ही समय है। ऐसे में इसका भविष्य क्या होगा? क्या बजट सत्र में लाया जाएगा या फिर नए सिरे से प्रस्ताव आएगा, क्योंकि औपचारिक रूप से ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। प्रस्ताव को पारित कराने के लिए उच्च सदन में बहुमत और लोकसभा में प्रस्ताव लाने वाले दल का सामान्य बहुमत होना चाहिए। यह संसद की नियमावली और संविधान में वर्णित है। ज्ञातव्य है कि फिलहाल, दोनों सदनों में इंडी गठबंधन को बहुमत नहीं है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे पर लगातार आरोप-प्रत्यारोप लगाने और शोर शराबे के कारण मंगलवार को राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ कांग्रेस के संबंधों को लेकर उन पर आरोप दोहराए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नेता जॉर्ज सोरोस द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता वाली संस्था में सदस्य हैं। विपक्ष को ये साफ करना चाहिए कि जो लोग देश की सुरक्षा, संप्रभुता के लिए खतरा हैं, उन लोगों से उनका क्या रिश्ता है। देश जानना चाहता है। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतें हमारे देश को अस्थिर करना चाहती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज भारत दुनिया में पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गई है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठा करार दिया।
उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष अडाणी के मुद्दे पर चर्चा करने से भाग रहा है।जगदीप धनखड़ ने अपने चैंबर में नड्डा और खड़गे के साथ बैठक की, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सदन सुचारू रूप से चले। कार्यवाही शुरू होने के 6 मिनट के भीतर ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसी तरह सभापति जगदीप धनखड़ ने भी राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद ही राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में फिर हो हल्ला और नारेबाजी शुरू हो गई। नतीजतन शोर शराबे के बीच दोनों सदनों की कार्यवाही आज दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही अब बुधवार, 11 दिसंबर को फिर शुरू होगी। दूसरी तरफ लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई, जिसमें सरकार को घेरने को लेकर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में चर्चा के लिए उठाए जा रहे मुद्दों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ, जिसमें विभिन्न नेताओं ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी सांसदों ने संसद भवन के मकर द्वार की तरफ मार्च किया और सरकार से भ्रष्टाचार को शह नहीं देने और संसद में मनमानी नहीं करने को लेकर नारेबाजी की। इस दौरान कई नेता हाथों में बैनर भी लिए हुए थे। मार्च के बाद सभी सदस्य संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए सदन की तरफ गए।