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बेहद खराब थे संबंध, अब कुछ सुधरे’, चीन रिश्तों पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सैन्य तनाव कम हो रहा है, क्योंकि एक समय दोनों देशों के बीच सैनिक बिल्कुल ही नजदीक पर आ गए थे। वहीं अब जब सेना पीछे हट चुकी हैं, तो दोनों देशों के नेताओं की ओर से कूटनीतिक रिश्तों को लेकर पॉजिटिव बयान दे रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया में कार्यक्रम के दौरान कहा कि पहले भारत-चीन के संबंध बेहद खराब हो गए थे लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने में कुछ प्रगति की है और यह एक स्वागत योग्य कदम है, जो यह संभावना जताता है कि आगे आने वाले समय में रिश्तों को और मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।

 

भारत-चीन रिश्तों में स्वीकारी प्रगति की बात

बता दें कि एस जयशंकर चार दिवसीय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं। यहां उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत और चीन के संदर्भ में हां, हमने कुछ प्रगति की है। आप जानते हैं, हमारे संबंध बहुत बहुत अशांत थे, जिसके कारण आप सभी जानते हैं। हमने उस दिशा में कुछ प्रगति की है जिसे हम विघटन कहते हैं। सैनिक एक-दूसरे के बहुत करीब थे, जिससे कुछ अप्रिय घटना होने की संभावना थी, लेकिन डिसइंगेजमेंट काफी सुधरी है।

 

PM मोदी और जिनपिंग के बीच हुई थी मुलाकात

एस जयशंकर ने कहा कि LAC पर बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे, और बदले में हमने भी जवाबी तैनाती की है। इस अवधि के दौरान रिश्ते के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं।एस जयशंकर ने आतंकवादियों को दी धमकीजयशंकर ने कहा कि पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद उम्मीद थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वे दोनों अपने समकक्षों से मिलेंगे, जो अब जल्द ही संभव है।

 

रुस-यूक्रेन और ईरान उजरायल के बीच तनाव पर बोले

जयशंकर ने रूस- यूक्रेन युद्ध और इजरायल-ईरान तनाव को बहुत-बहुत चिंताजनक स्थिति बताया और कहा कि भारत लगातार इसे कंट्रोल करने के लिए कुछ करने के प्रयास कर रहा है। एस जयशंकर ने कहा है कि अलग-अलग तरीकों से हम दोनों टकराव में कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं। यूक्रेन के मामले में… हम यहां अपना प्रयास कर रहे हैं और प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल हैं।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वे जुलाई में रूस गए और फिर अगस्त में यूक्रेन गए, बाकी दुनिया को हाथ खड़े करके यह नहीं कहना चाहिए, क्योंकि हर दिन, इन देशों और क्षेत्र के लिए लागत के अलावा, दुनिया को भी कुछ न कुछ कीमत चुकानी पड़ती है।

 

जयशंकर ने कहा कि कुछ हद तक कूटनीतिक प्रयास जारी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों के लिए ग्लोबल साउथ से भी हमें बहुत मजबूत समर्थन मिला है। इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि कई बातचीत के माध्यम से हम कुछ सामान्य आधार बनाने में सक्षम हैं ताकि कूटनीति की कुछ शुरुआत हो सके।

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