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गुरमीत राम रहीम को फिर मिली पैरोल, हरियाणा चुनाव से पहले उठे सवाल

नयी दिल्ली. डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को एक बार फिर से पैरोल मिल गई है। हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें 20 दिनों की पैरोल मंजूर की गई है। इस पैरोल की शर्त है कि राम रहीम इस अवधि के दौरान हरियाणा से बाहर रहेगा। हालाँकि, हर बार की तरह इस बार भी राम रहीम को मिली पैरोल पर सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर तब जब हरियाणा में चुनाव की तारीख नजदीक है।

अपराध और सजा

गुरमीत राम रहीम सिंह साध्वियों से बलात्कार और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। अक्टूबर 2020 से सितंबर 2024 के बीच राम रहीम 10 बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुका है। खास बात यह है कि इन 10 बार की पैरोल में से 6 बार उसे हरियाणा के चुनावी सीजन के दौरान रिहाई मिली। इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या राम रहीम की पैरोल का चुनाव से कोई संबंध है, या यह महज एक संयोग है?

पिछले पैरोल और चुनावी संबंध

राम रहीम की पैरोल की टाइमिंग ने कई बार चर्चाओं को जन्म दिया है। उदाहरण के तौर पर:

  • 7-8 फरवरी को जब उसे 21 दिन की पैरोल मिली थी, तो 26 फरवरी को पंजाब में विधानसभा चुनाव थे।
  • 17 जून को 30 दिन की पैरोल के दौरान, 19 फरवरी को हरियाणा में नगर निगम चुनाव थे।
  • 15 अक्टूबर को 40 दिन की पैरोल मिली, जब आदमपुर उपचुनाव हुए।
  • जुलाई में 30 दिन की पैरोल के समय, 13 अगस्त को हरियाणा के तीन जिलों में पंचायत चुनाव थे।
  • 21 नवंबर को पैरोल मिली, और 25 नवंबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव थे।
    अब 2 अक्टूबर को उसे एक बार फिर से पैरोल मिली है, जबकि 5 अक्टूबर को हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं।

राजनीतिक विवाद और कांग्रेस का विरोध

इस बार हरियाणा कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर राम रहीम को दी गई पैरोल का विरोध किया है। हालांकि, जब देश के कांग्रेस नेताओं से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस मुद्दे पर सीधा जवाब देने से बचते हुए इसे टालने की कोशिश की। भले ही कांग्रेस ने औपचारिक रूप से इस पैरोल के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करवाई हो, लेकिन सार्वजनिक तौर पर खुलकर बोलने में संकोच कर रही है। राजनीतिक पार्टियों का राम रहीम से जुड़ा मुद्दा चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए काफी संवेदनशील है।

राम रहीम की पैरोल: चुनावी संयोग या प्रयोग?

गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल का समय हर बार चुनाव के ठीक पहले आना, एक बड़ा राजनीतिक सवाल खड़ा करता है। कई बार इसे महज संयोग कहा गया, लेकिन जब एक ही व्यक्ति को बार-बार चुनावी सीजन के दौरान पैरोल दी जाती है, तो यह एक प्रयोग की तरह लगने लगता है। खासकर हरियाणा जैसे राज्य में, जहां राम रहीम का बड़ा समर्थक वर्ग है, इस तरह की पैरोल चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार राम रहीम की पैरोल का हरियाणा चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ता है और राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया देती हैं।

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