आरडीए काे भाजपा ने कर्ज में लादा, कांग्रेस शासन में मिली कर्ज से मुक्ति
रायपुर. रायपुर विकास प्राधिकरण काे भाजपा शासनकाल में कर्ज से लाद दिया गया था। कमल विहार योजना, जिसका नाम अब माता कौशल्या हाे गया है। इसके लिए करीब छह सौ करोड़ का कर्ज बैंकों से लिया था। यह कर्ज आरडीए के लिए गले की हड्डी बन गया था। यह कर्ज आठ सौ करोड़ से ज्यादा का ब्याज के कारण हो गया था। इसी के साथ ठेकेदारों का भी भारी बकाया नहीं चुकाया जा रहा था जिसके कारण ठेकेदार भी काम करने से हाथ खड़े कर रहे थे। आरडीए काे कर्ज से मुक्त करने का काम कांग्रेस के शासनकाल में हुआ है। आज की तारीख में आरडीए पर जहां कोई कर्ज नहीं है, वहीं उसके पास खुद की सात सौ करोड़ की प्रापर्टी भी है। यही नहीं अब आरडीए में नियमित रूप से जहां समय पर वेतन मिलता है, वहीं जीएसटी जमा करने के मामले में भी उसको प्रमाणपत्र मिल चुका है।
आरडीए की सबसे बड़ा योजना कमल विहार है। इस योजना के लिए करीब एक दशक पहले बैकों से पहले पांच सौ करोड़ का कर्ज लिया गया। लेकिन इसका ब्याज जमा न कर पाने के कारण और सौ करोड़ का कर्ज लिया गया तो यह कर्ज छह सौ करोड़ हो गया। कर्ज जमा न होने के कारण इसका लगातार ब्याज बढ़ते चले गया।
कारगर रणनीति से बना काम
प्रदेश में कांग्रेस शासनकाल में 21 जुलाई 2021 को सुभाष धुप्पड़ को आरडीए का अध्यक्ष बनाया गया। उनके अध्यक्ष बनने के बाद उनको यह जानकारी हुई कि प्राधिकरण को कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी परेशानी होती है। कभी भी समय पर वेतन नहीं मिल पाता है। इसी के साथ प्राधिकरण पर कर्ज भी बहुत ज्यादा है। ऐसे में उन्होंने इसके लिए नई तरह की रणनीति बनाने का काम किया और महज 10 दिनों के अंदर की स्थिति यह बना दी कि एक अगस्त 2021 से कर्मचारियों को एक तारीख को वेतन मिलने लगा। अपनी रणनीति के बारे में श्री घुप्पड़ बताते हैं कि कमल विहार में व्यावसायिक भूखंड बहुत ज्यादा बड़े होने के कारण इसको खरीदने वाले ही नहीं मिलते थे। ऐसे में सबसे पहले इन भूखंडों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने के साथ अलग-अलग वर्ग के कारोबारियों से बात करके उनके कारोबार के लिए वहां पर भूखंड उपलब्ध कराए गए। कारोबारियों को मनाने का काम किया गया और उनको भूखंड बेचे गए। इससे जो भी पैसा मिलते गया उससे कर्ज चुकाने का काम किया गया।
बकायादाराें पर भी नकेल
रणनीति के तहत बकायेदारों पर भी नकेल कसने का काम किया गया। जो भी बकायादार भुगतान नहीं कर रहे थे, उनसे आवास वापस लेकर उनको फिर से बेचा गया। ऐसा होने से एक फायदा यह भी हुआ कि जाे आवास पहले 11 से 12 लाख में बिके थे वो वापस 17 से 18 लाख में बिके। इससे भी आरडीए को फायदा हुआ। कुल मिलाकर नौ सौ से हजार करोड़ की प्रापर्टी को बेचा गया और इससे न सिर्फ बैंकों का कर्ज चुकाया गया, बल्कि ठेकेदारों को भी उनका बकाया भुगतान किया गया।
जीएसटी से मिला प्रमाणपत्र
श्री धुप्पड़ बताते हैं कि पहले जीएसटी का पैसा समय पर जमा नहीं होता था, लेकिन इसको भी हमने तय किया कि इसका भुगतान हर हाल में 10 तारीख तक किया जाएगा। जब नियमित रूप से भुगतान किया गया तो जीएसएस से इसके लिए हमें प्रमाणपत्र भी मिला।
दो सौ करोड़ का ब्याज कराया माफ
पूर्व अध्यक्ष श्री धुप्पड़ ने बताया सेंट्रल बैंक के कर्ज का 207 करोड़ 72 लाख 30 हजार का ब्याज भी माफ कराने का काम किया गया। इसके लिए बैंक के अधिकारियों को यह समझने का काम किया गया कि आरडीए का काम गरीबों को सस्ती दर पर मकान उपलब्ध कराने का है। इसमें नाे प्रॉफिट नो लास पर काम किया जाता है। करीब डेढ़ घंटे तक अधिकारियों के साथ बैठक हुई तब जाकर वे माने। इसके बाद सेंट्रल बैंक का पूरा कर्ज चुकाने का काम अब जाकर 29 दिसंबर को पूरा हाे सका है। एक दिन पहले 28 दिसंबर को 20 करोड़ जमा किए गए और अब 29 दिसंबर को चार करोड़ देकर पूरा कर्ज समाप्त कर दिया गया है। अन्य बैंकों का भी पूरा कर्ज समाप्त हो गया है।
सात सौ करोड़ की अपनी प्रापर्टी
अपना सारा कर्ज चुकाने के बाद आरडीए के पास इस समय अपनी सात सौ करोड़ की प्रॉपर्टी है। इसमें अभी 265 करोड़ की प्रापर्टी ऐसी है जिसको बेचा जाना बाकी है। इसी के साथ 250 करोड़ का देवेंद्र नगर का हाट बाजार है। इसी के साथ माता कौशल्या विहार का 125 करोड़ का आमोद-प्रमोद वाला भूखंड भी है। इसी के साथ अभी 136 करोड़ के राजस्व की वसूली भी बाकी है।