State

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग

रायपुर। लोकसभा के बजट सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर कांग्रेसी सांसदों की टीका टिप्पणी को लेकर अब प्रदेश और भाजपा आमने-सामने हाे गई है। इस मामले में भाजपा की तरफ से पत्रकार वार्ता लेकर पूर्व मंत्री और भाजपा के महामंत्री केदार कश्यप ने कहा, कांग्रेस चाहती ही नहीं कि आदिवासी समाज का कोई व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे, इसलिए कांग्रेस के नेता बार-बार राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर टिप्पणी करने से बाज नहीं आते। भाजपा पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, राष्ट्रपति का अभिभाषण केंद्र सरकार द्वारा लिखित दस्तावेज होता है, जिसका परंपरागत रूप से राष्ट्रपति पठन करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण में टीका टिप्पणी संसदीय परंपरा का हिस्सा रहा है।

श्री कश्यप ने एकात्म परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, आदिवासियों से नफरत के चलते कांग्रेस के सांसद खुद को राष्ट्रपति पर भी टिप्पणी करने से रोक नहीं पाए। यही कारण है कि इतिहास में पहली बार बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आधारहीन टिप्पणी करके राष्ट्रपति को अपमानित करने की धृष्टता कांग्रेस ने की और उनके अभिभाषण को राजनीति से प्रेरित बताया।

श्री कश्यप ने कहा, आदिवासी समाज की बेटी राष्ट्रपति न बने, इसके लिए कांग्रेस ने ऐसे व्यक्ति का समर्थन किया, जो खुद उनकी पार्टी का नेता नहीं था। जब द्रौपदी मुर्मू ऐतिहासिक बहुमत से विजयी होकर राष्ट्रपति निर्वाचित हो गईं, तब लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की अधीरता इतनी निम्नता पर उतर गई कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपत्नी कहा गया। छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी समाज की बेटी राज्यपाल पर लगातार अनर्गल टिप्पणी करके उनको नीचा दिखाने का काम कांग्रेसियों द्वारा लगातार किया जा रहा है। श्री कश्यप ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स के बजट को पिछले वर्ष की तुलना में 70 प्रतिशत बढ़ा दिया, वहीं कांग्रेस की सरकार में वर्ष 2013-14 से तुलना करें तो आदिवासी वर्ग के लिए बजट को 190 फीसदी बढ़ाया गया। जबकि कांग्रेस सरकार इसे प्रतिवर्ष 5 फीसदी भी नहीं बढ़ाती थी।

भाजपा आदतन आदिवासी विरोधी : मरकाम

कांग्रेस के पीसीसी अध्यक्ष श्री मरकाम ने कहा, विपक्ष जिन बिंदुओं से असहमत होता है, उस पर टिप्पणी करता है। भाजपा इसको आदिवासी राष्ट्रपति से जोड़कर संसद, संविधान और राष्ट्रपति का अपमान कर रही है। भाजपा का चरित्र ही आदिवासी विरोधी है।

श्री मरकाम ने कहा, आदिवासियों को लंगोट में रखने का षड्यंत्र तो भाजपा ने रखा था। भाजपा कभी नहीं चाहती कि आदिवासी आर्थिक और शैक्षणिक रूप से आत्मनिर्भर बने। भाजपा आदिवासियों का, उनकी संस्कृति का हमेशा से दमन करना चाहती है। भाजपा यदि आदिवासियों का हित चाहती तो अभी तक आदिवासी समाज का आरक्षण बिल राजभवन में अटका नहीं होता। श्री मरकाम ने कहा, रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा पीड़ित, प्रताड़ित और शोषित आदिवासी वर्ग था। आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने के लिए उनके कानूनी अधिकारों का हनन किया गया। श्री मरकाम ने कहा, कांग्रेस की सरकार ने आदिवासी वर्ग के चहुंमुखी विकास के लिए रोजगार मूलक योजनाएं बनाईं। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी वर्ग की शिक्षा के लिए 300 से अधिक बंद स्कूलों को खोला गया। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विश्वास, विकास और सुरक्षा के नीतियों के तहत काम किया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button