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विधानसभा का विशेष सत्र 1-2 दिसंबर को

आरक्षण के मुद्दे पर होगी बात और अध्यादेश भी

सीएम ने भेजा था अध्यक्ष को  विशेष सत्र का प्रस्ताव

रायपुर(realtimes) राज्य विधानसभा का विशेष सत्र 1 और 2 दिसंबर को होगा। इस संबंध में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके की मंजूरी मिल गई है। यह विशेष सत्र आरक्षण के मसले को लेकर बुलाया गया है। राज्य सरकार इस सत्र में अध्यादेश ला सकती है। खास बात ये है कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने 2012 में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू की थी। हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। इसके बाद से 2012 के पूर्व की स्थिति में आरक्षण का प्रतिशत आ गया है। इसके हिसाब से राज्य के आदिवासियों के आरक्षण के प्रतिशत में कमी आई है। आरक्षण के मसले को लेकर राज्य की राजनीति गरमाई हुई है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को भेजा था। मुख्यमंत्री ने आगामी एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज को भरोसा दिलाया है कि राज्य में आरक्षण के मामले में आदिवासी निश्चिंत रहें, उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में आरक्षण की विधिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का दल शीघ्र वहां जाएगा। अध्ययन दल के गठन एवं इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है।  
मुख्यमंत्री ने कहा है कि आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन हमारी सरकार कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी संवैधानिक अधिकार उन्हें प्राप्त हों। आरक्षण के मामले को लेकर हमने विधानसभा अध्यक्ष से एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का भी आग्रह किया।

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