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Bihar विधानसभा के बुधवार को बुलाए गए विशेष सत्र के हंगामेदार रहने के आसार

पटना : बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा द्बारा उनके खिलाफ सत्तारूढ़ महागठबंधन के विधायकों के अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार करने के बीच, प्रदेश में नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के लिए बुधवार को बुलाए गए सदन के विशेष सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़कर सात पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर 10 अगस्त को प्रदेश में नई सरकार बना ली।

नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 50 विधायकों ने सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। बिहार विधानसभा के बुधवार को आयोजित होने वाले विशेष सत्र के दौरान नई महागठबंधन सरकार शक्ति प्रदर्शन करेगी। महागठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े (122) से अधिक यानी 164 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 76 विधायक हैं। नई सत्तारूढ़ सरकार के अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद सिन्हा के इस्तीफा देने से इनकार करने के कारण विशेष सत्र की शुरुआत हंगामेदार रहने के आसार हैं। भाजपा नेता नितिन नबीन ने कहा, ''हमने विधानसभा में विपक्ष के नेता पर फैसला नहीं किया है।

यह एजेंडे में शीर्ष पर नहीं है। हम ''पल्टू कुमार और पिछले दरवाजे से बनी इस नई सरकार को बेनकाब करने की उम्मीद कर रहे हैं, जो अविश्वास प्रस्ताव लाई है। महागठबंधन में राष्टीय जनता दल (राजद), क ांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) भाकपा माले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) माकपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिदुस्तानी अवाम मोर्चा के अलावा एक निर्दलीय विधायक तथा मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू शामिल है। महागठबंधन के पास 243 सदस्यीय सदन में कुल 164 विधायक हैं। ऐसे में महागठबंधन के पास सदन अध्यक्ष को पद से हटाने और नया अध्यक्ष चुनने एवं सदन में बहुमत साबित करने के लिए प्रयाप्त संख्या बल है।
सिन्हा ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था, ''मैं बिहार विधानसभा अध्यक्ष के रूप में, मेरे विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का प्रतिकार करते हुए इस्तीफा नहीं दूंगा।

उन्होंने कहा था, ''आसन से बंधे होने के कारण संसदीय नियमों और प्रावधानों से असंगत नोटिस को अस्वीकृत करना मेरी स्वभाविक जिम्मेदारी बनती है। बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष एवं जदयू के वरिष्ठ नेता महेश्वर हजारी ने इसे गलत परंपरा की शुरूआत बताते हुए कहा, ''तकनीकी तौर पर यही सही है कि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष, किसी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो वे आसन पर नहीं बैठेंगे। उसके बावजूद भी कोई जिद करे कि हम आसन पर बैठेंगे, तो इससे दुर्भाग्यपूणã बात क्या होगी। यह पूछे जाने पर कि सत्तारूढ़ महागठबंधन सिन्हा को कुर्सी पर अपना कब्जा बरकरार रखने से कैसे रोकेगा, हजारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था, ''अगर कोई पागल कुत्ता मुझे काट ले, तो मैं उसे वापस नहीं काट सकता। मैं यही कर सकता हूं कि मैं अपना इलाज कराऊं ।

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, ''नीतीश कुमार अध्यक्ष को गालियां देने के लिए उपाध्यक्ष, एक दलित, का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में मुख्यमंत्री दलितों का नाम भी बदनाम कर रहे हैं। बिहार की नई महागठबंधन सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने सिन्हा के बारे में सोमवार को कहा था, ''उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान जो बातें कहीं, वे बिल्कुल समझ से परे है कि कोई व्यक्ति संवैधानिक पद पर रहते और यह जानते हुए कि अब हम इस पद पर बने नहीं रह सकते, यह कहे कि हम इस्तीफा नहीं देंगे। इसका कोई अर्थ नहीं है । बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रहे चौधरी ने कहा था, ''अच्छा होता कि वह इस्तीफा दे देते और अगर वह ऐसा नहीं करेंगे, तो वह हटाए जाएंगे।

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