
कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का इलाज दिल्ली एम्स में जारी है। उनकी सेहत से जुड़ा बड़ा अपडेट सामने आया है। ऐसी खबर है कि राजू श्रीवास्तव वेंटिलेटर पर हैं। बुधवार को अचानक सीने में दर्द होने और जिम में कसरत के दौरान गिर जाने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें हार्ट अटैक आया था। अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद बुधवार शाम को उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी।
#UPDATE | Comedian Raju Srivastava is on ventilator at AIIMS Delhi, he is responding to clinical treatment: Sources
He was admitted here yesterday after he experienced chest pain and collapsed while working out at the gym. He underwent angioplasty later.
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— ANI (@ANI) August 11, 2022
क्या होती है एंजियोप्लास्टी?
एंजियोप्लास्टी एक ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को खोला जाता है। मेडिकल भाषा में इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी आर्टरीज कहा जाता है। डॉक्टर अक्सर दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी समस्याओं के बाद एंजियोप्लास्टी की मदद लेते हैं।
इस प्रक्रिया को पर्क्यूटेनियस ट्रांस्लुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी भी कहा जाता है। डॉक्टर एंजियोप्लास्टी के बाद कई मामलों में कोरोनरी आर्टरी स्टेंट भी रक्त वाहिकाओं में डालते हैं। यह स्टेंट नसों में रक्त प्रवाह को फिर से दुरुस्त करने का काम करता है। दिल का दौरा पड़ने के बादएक से दो घंटे के भीतर मरीज की एंजियोप्लास्टी की जाती है। एक घंटे के भीतर मरीज को एंजियोप्लास्टी मिलने से मौत का खतरा कम हो सकता है।
तीन प्रकार की होती है एंजियोप्लास्टी:
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बैलून एंजियोप्लास्टी
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लेजर एंजियोप्लास्टी
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एथरेक्टॉमी एंजियोप्लास्टी
बैलून एंजियोप्लास्टी क्या होती है?
बैलून एंजियोप्लास्टी के दौरान कैथेटर नाम की एक पतली ट्यूब को बांह या जांघ के पास हल्का सा चीरा लगाकर उसे ब्लॉक हो चुकी धमनी में डाला जाता है। डॉक्टर एक्स-रे या वीडियो की मदद से वाहिकाओं में जाने वाली ट्यूब की देखरेख करते हैं। कैथेटर के धमनी में पहुंचने के बाद उसे फुलाया जाता है। यह बैलून प्लाक को दबाकर चपटा कर देता है। इससे धमनी चौड़ी हो जोती है और मरीज का ब्लड सर्कुलेशन फिर से ठीक हो जाता है।
क्या होती है लेजर एंजियोप्लास्टी और एथरेक्टॉमी?
लेजर एंजियोप्लास्टी में भी कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें बैलून की जगह लेजर का सहारा लिया जाता है। इसमें लेजर को प्लाक तक लेकर जाते हैं और फिर बंद पड़ी धमनी को वेपराइज कर खोलने की कोशिश की जाती है। वहीं, एथरेक्टॉमी का इस्तेमाल उस समय होता है, जब बैलून या लेजर एंजियोप्लास्टी से भी किसी सख्त प्लाक को न हटाया जा सके।