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भीमा कोरेगांव केसः सुप्रीम कोर्ट ने वरवर राव को स्वास्थ्य आधार पर दी जमानत, कुछ शर्तों का करना होगा पालन

कोर्ट में एनआईए के वकील ने राव पर लगे यूएपीए का हवाला देते हुए जमानत अर्जी का कड़ा विरोध किया। वहीं, राव के वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र और बीमारियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें बिना किसी शर्त के जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

फोटोः सोशल मीडिया
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी बनाए गए 82 वर्षीय कवि पी वरवर राव को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दे दी। न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने कहा कि जमानत केवल स्वास्थ्य आधार पर है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वरवर राव किसी भी तरह से अपनी जमानत का दुरुपयोग नहीं करेंगे और वह किसी भी गवाह के संपर्क में नहीं आएंगे।

कोर्ट में एनआईए का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने राव की दलीलों का कड़ा विरोध किया और तर्क दिया कि यह राव की कोई योजना हो सकती है और यूएपीए के तहत, वह जमानत के हकदार नहीं है। भीमा कोरेगांव मामले में वरवर राव पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है।

वरवर राव का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने अपनी दलील में कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र और बीमारियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें बिना किसी शर्त के जमानत पर रिहा कर देना चाहिए। ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल वरवर राव 82 साल के हैं और कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, जिस पर विचार किया जाना चाहिए।

वरवर राव ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 13 अप्रैल के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य आधार पर उन्हें स्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने 3 महीने बाद सरेंडर करने के बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्त को भी हटा दिया।


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