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बिजली के स्मार्ट मीटर लगने पर साढ़े 5 सौ करोड़ के पुराने मीटर हाे जाएंगे कबाड़

रायपुर(realtimes) अपने राज्य छत्तीसगढ़ में भी बिजली के उपभाेक्ताओं के मीटराें काे स्मार्ट करने की कवायद प्रारंभ हाे गई है। पहले चरण में खंबाें के मीटर बदले जा रहे हैं। इसके बाद उपभोक्ताओं का नंबर आएगा। प्रदेश के 54 लाख उपभोक्ताओं के घरों, व्यापारिक, सरकारी संस्थानों में जो इस समय डिजिटल मीटर लगे हैं, वो करीब साढ़े पांच सौ करोड़ के हैं। आने वाले समय में ये सारे मीटर कबाड़ हो जाएंगे। जहां पहले के लगे मीटर हजार रुपए के आस-पास के हैं, वहीं नए मीटर छह हजार के हैं। इनको लगाने पर करीब चार हजार करोड़ का खर्च आएगा।

बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन में लगने वाले मीटर समय के साथ बदले जाते रहे हैं। सबसे पहले चकरी वाले मीटर लगते थे। इनको करीब डेढ़ दशक पहले डिजिटल मीटरों में बदलने का काम किया गया। डिजिटल मीटरों के कुछ साल पहले नए वर्जन आए तो इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने इनको लगाने का काम किया। कंपनी के अधिकारियों का कहना है, नए वर्जन वाले मीटर ज्यादातर नए कनेक्शनों में लगाए गए हैं। इसी के साथ जिनके मीटर खराब हुए उनके मीटर बदले गए। सभी मीटरों को नए वर्जन में नहीं बदला गया है। नए वर्जन में कुछ ज्यादा सुविधा है। जैसे इसमें छह माह की रीडिंग देखने की सुविधा है। इन मीटरों को लगाने पर पॉवर कंपनी के एक मीटर के हजार रुपए के हिसाब से करीब साढ़े पांच सौ करोड़ खर्च हुए हैं। इनकी कीमत भी उपभोक्ताओं से ली गई है। लेकिन अब जो नए मीटर लगेंगे उनकी कीमत उपभोक्ताओं से नहीं ली जाएगी।

स्मार्ट मीटर छह हजार का

अब लगने वाले स्मार्ट मीटर की कीमत छह हजार रुपए है। चूंकि यह केंद्र सरकार की योजना है तो इसमें केंद्र सरकार से 15 प्रतिशत राशि यानी प्रति मीटर के लिए नौ सौ रुपए मिलेंगे, बाकी खर्च राज्य सरकार और पॉवर कंपनी को करना है। इस योजना में चार हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च है। इतना खर्च एक साथ कर पाना पॉवर कंपनी के लिए संभव नहीं है, इसलिए इस योजना के लिए कंपनी ने टो-टैक्स योजना बनाई है जिसमें ठेका लेने वाली कंपनी पूरा खर्च करके काम करेगी। ठेका कंपनी को पॉवर कंपनी ईएमआई देगी। टेंडर में सब कुछ तय होगा। अभी टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है। अभी तो राज्य सरकार के बाद योजना काे केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

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