अपनी पार्टी से ही वादाखिलाफी, नहीं दे रहे आजीवन सहयोग निधि के 20 लाख रुपए

रायपुर(realtimes) राजधानी रायपुर में थाेक में ऐसे भाजपा नेता हैं जाे अपनी पार्टी के साथ ही वादाखिलाफी पर उतर आए हैं। मामला यह है कि भाजपा के आजीवन सहयोग निधि अभियान को समाप्त हुए दाे माह हो चुके हैं, लेकिन शहर जिला भाजपा से सहयोग करने का वादा करने के बाद भी दर्जनों नेता अब तक पैसा नहीं दे रहे हैं। ऐसे में करीब 20 लाख रुपए उधारी में फंस गए हैं। रायपुर को एक करोड़ 30 लाख का टारगेट मिला था, इसमें आधा ही टारगेट पूरा हो सका है। अगर उधारी का पैसा मिल जाएगा तो टारगेट 70 फीसदी तक पूरा हो जाएगा।
प्रदेश भाजपा संगठन ने तीन साल बाद जाकर इस साल आजीवन सहयोग निधि जुटाने का अभियान चलाया। इस बार सत्ता में न होने के बाद भी सभी जिलों को बड़ा टारगेट दिया गया। इस टारगेट को पाने में सभी जिलों का पसीना छूट गया है। पहले एक-एक मंडल के लिए तीन-तीन लाख रुपए का टारगेट रखा गया था, लेकिन इसको राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने बढ़ा दिया। जहां शहर के मंडलों के लिए दस-दस लाख तय किए गए, वहीं ग्रामीण मंडलों के लिए पांच-पांच लाख तय हुए। रायपुर में 16 मंडल हैं। इसमें से दस शहर और 6 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। ऐसे में रायपुर का टारगेट एक करोड़ 30 लाख हो गया।
वादा किया पर नहीं दिया पैसा
प्रदेश संगठन ने सभी जिलों का टारगेट पूरा कराने के लिए एक फरमान भी जारी किया, जिसमें सभी सांसद, विधायकों और जनप्रतिनिधियों को एक-एक माह का वेतन देने कहा गया। पूर्व सांसद और विधायकों को एक-एक माह की पेंशन देने कहा गया। इसी के साथ सभी निगम, मंडलों के पूर्व पदाधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा सहयोग करने कहा गया। संगठन के फरमान के बाद सभी ने वादा किया कि वे पैसा देंगे। सांसद, विधायक और बहुत से जनप्रतिनिधियों ने सहयोग किया भी, लेकिन बहुत से जनप्रतिनिधि एक तय राशि देने का वादा करके अब तक राशि दे ही नहीं रहे हैं। जानकारों का साफ कहना है, वादा करके पैसा न देने वाले नेताओं के कारण करीब 20 लाख रुपए अटक गए हैं। कौन-कौन वाद करके पैसा नहीं दे रहे हैं, इसके बारे में शहर जिला भाजपा के पदाधिकारी किसी का नाम तो नहीं बता रहे हैं, लेकिन यह जरूर कह रहे हैं कि बहुत से ऐसे नेता हैं जिन्होंने अब तक सहयोग राशि नहीं दी है।
टागरेट में फंसा पेंच
रायपुर को एक करोड़ 30 लाख का टारगेट दिया गया था। इसमें से 60 लाख ही अब तक जमा हो सके हैं। मंडलों से पूरा हिसाब नहीं आया है, क्योंकि जिन्होंने वादा किया है, उनसे पैसे मिलने का इंतजार किया जा रहा है। बचे पैसे आने के बाद भी टारगेट पूरा नहीं होगा, क्याोंकि 20 से 25 लाख ही और मिलेंगे। रायपुर के लिए यहां संतोषजनक बात है कि पिछली बार 2018 में 50 लाख एकत्रित हुए थे, इस बार उस लक्ष्य काे पार करने में सफलता मिली है।