
रायपुर(realtimes) प्रदेश के स्पंज आयरन उद्योग काे एसईसीएल से लगातार पांच साल तक लिंकेज का काेयला मिलता रहा है, लेकिन अब इसका अनुबंध समाप्त हाे गया है। उद्याेग इस अनुबंध काे बढ़ाना चाहते हैं ताकि उद्याेग चल सके, लेकिन काेल इंडिया इसके लिए तैयार नहीं हो रहा है। ऐसा नहीं है काेल इंडिया काेयला देना नहीं चाहता है, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार की अब अनुमति जरूरी है।
नए अनुबंध के लिए लगातार प्रयास के बाद भी सफलता न मिलने पर स्पंज आयरन एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल काेल इंडिया के चेयरमैन से कोलकाता में मिला, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ है। केंद्र सरकार का हवाला देते हुए चेयरमैन ने लिंकेज से साफ इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार की अनुमति के बिना अब कोयला मिलना संभव नहीं है। अब स्पंज आयरन उद्योग प्रदेश सरकार से गुहार लगाने के साथ केंद्र सरकार काे भी पत्र भेजकर लिकेंज दिलाने की मांग करेगा।
अप्रैल में समाप्त हाे गया अनुबंध
प्रदेश के स्पंज आयरन उद्योगों के करीब सौ प्लांट का एसईसीएल से लिकेंज है। इनको 2017 से कोयला मिल रहा था। यह अनुबंध मार्च 2022 तक था जो अब समाप्त हो गया है। इस अनुबंध को बढ़ाने के प्रयास में स्पंज आयरन एसोसिएशन लगातार प्रयास कर रहा है, पर इसमें सफलता नहीं मिली रही है। एसईसीएल से बात न बनने पर अंतत: एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल अध्यक्ष अनिल नचरानी के साथ कोलकाता गया। प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों कैलाश अग्रवाल, रमेश अग्रवाल और उमेश अग्रवाल के साथ गुरुवार को काेल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल से प्रतिनिधि मंडल की चर्चा हुई। इसके बारे में श्री नचरानी ने बताया, कोल इंडिया के चेयरमैन का कहना है, हमें कोयला देने से इनकार नहीं है, लेकिन जब तक केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिलती है, हमें लिंकेज को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं और कोयला नहीं दे सकते हैं। केंद्र सरकार ने इस समय सिर्फ पॉवर प्लांटों को कोयला देने के निर्देश दिए हैं। इसलिए नॉन पॉवर सेक्टर को अभी कोयला नहीं दिया जा सकता है।
उद्याेगाें में लग जाएंगे ताले
श्री नचरानी का कहना है, स्पंज आयरन उद्योग का हर साल एसईसीएल से एक करोड़ टन कोयले का लिंंकेज रहता है, लेकिन कभी भी इतना कोयला नहीं मिलता है। हर 70 से 75 लाख टन ही कोयला मिल पाता है। उन्होंने बताया मार्च 2022 का कोयला अब तक नहीं मिला है। यह अगले माह तक मिलेगा। जुलाई के बाद कोयला न मिलने से तय है कि स्पंज आयरन उद्योगों में ताला लग जाएगा। इस समय विदेशी कोयले के भरोसे उद्योग चल रहे हैं, लेकिन विदेशी कोयला इतना ज्यादा महंगा है कि उनके भरोसे लगातार उद्योगों को चलाना संभव नहीं है। श्री नचरानी का कहना है अब सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने अपनी समस्या रखकर एसईसीएल से कोयला दिलाने की मांग रखेंगे। अगर अपने राज्य की खदानों से अपने राज्य के ही उद्योगों को कोयला नहीं मिलेगा तो क्या मतलब है। प्रदेश सरकार के माध्यम से ही केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाएंगे।