चिंतन के फार्मूले ने कैसे रोकी डॉ.महंत की राह

राज्यसभा की रेस से खुद को किया बाहर
सासंद पत्नी बोली-छत्तीसगढ़ में ही सेवा करेंगे
रायपुर( realtimes) छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेस नेता विधानसभाध्यक्ष डा.चरणदास महंत ने राज्यसभा में जाने की जो अंतिम इच्छा जताई थी क्या उस पर कांग्रेस के चिंतन शिविर के फार्मूले ने पानी फेर दिया है। ये बात सही हो या नहीं, लेकिन डा.महंत ने राज्यसभा की दावेदारी छोड़ने की जो बात कही है उसे इसी फार्मूले से जोड़कर राजनीतिक प्रेक्षक देख रहे हैं। डा.महंत ने जब राज्यसभा में जाने की इच्छा को अपनी अंतिम इच्छा के रूप में सार्वजनिक किया था,तभी माना जा रहा था कि उनकी टिकट पक्की और राज्यसभा सासंद के रूप में उनकी कुर्सी तय है। दरअसल डा. महंत सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी होने के साथ केंद्रीय मंत्री, लोकसभा सदस्य,कई बार के विधायक, एमपी सरकार में मंत्री से लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। बताैर दावेदार छत्तीसगढ़ में उनकी स्थिति बेहतर थी। लेकिन अचानक क्यों उन्होंने राह बदल ली।
चिंतन का फार्मूला बना चिंता का कारण
उदयपुर राजस्थान में हुई चिंतन शिविर में कांग्रेस ने तय किया है कि एक परिवार से एक को ही टिकट मिलेगी। उनके परिवार में पत्नी ज्योत्सना कांग्रेस की टिकट पर जीती सांसद है। माना जा रहा था कि डा.महंत राज्यसभा में गए तो उनकी खाली हुई विधानसभा सीट सक्ती से उनके पुत्र को प्रत्याशी बनाया जाएगा। इस तरह सुपुत्र की प्रदेश की राजनीति में एंट्री हो जाएगी। लेकिन इन संभावनाओं के गणित पर चिंतन शिविर के फार्मूले ने लगता है पानी फेर दिया है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि यही वजह हो सकती है कि डा.महंत ने खुद दावेदारी छोड़ दी।
सासंद पत्नी ने कहा- महंत नहीं करेंगे दावेदारी
डा. महंत की पत्नी और कोरबा से लोकसभा सांसद ज्योत्सना महंत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष महंत राज्यसभा नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि डॉ. महंत राज्यसभा के लिए दावेदारी नहीं करेंगे। अभी राज्यसभा जाने की उनकी कोई इच्छा नहीं है। अभी छत्तीसगढ़ में ही जनता की सेवा करेंगे।
महंत बोले-पत्नी ने दे दिया है अभिमत
ज्योत्सना महंत के बयान पर डॉ. महंत ने कहा कि मेरे बारे में मेरी पत्नी ने अपना अभिमत व्यक्त कर दिया है। इसलिए मैं राज्यसभा की रेस से बाहर हूं। राज्यसभा में स्थानीय को मौका देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में हम लोग पूरी तरीके से हाईकमान पर निर्भर है। हम लोगों का जीवन हाईकमान पर निर्भर है। हम सब का निर्णय भी हाईकमान पर निर्भर करता है।