Nandanvan में ostrich ने दिए 7 अंडे

रायपुर(realtimes) वन्यजीव प्रेमियों के लिए नंदनवन पक्षी विहार से अच्छी खबर है। पहली बार शुतुरमुर्ग ने अभी तक 7 अंडे दिए है। प्रत्येक अंडे का वजन 1 किलो से डेढ़ किलोग्राम तक है। इनमें से 6 अंडे को सेकने के लिए आर्टिफिशियल इनक्यूबेटर (एक मशीन) में 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा गया है, जिससे कुछ दिन बाद बच्चे निकलने की संभावना है। इससे शुतुरमुर्ग की तादाद में तेजी से बढो़तरी होगी। सेता (सेकना) के लिए शुतुरमुर्ग की जगह इस मशीन का भी पहली बार उपयोग किया जा रहा है।
नंदनवन पक्षी विहार में तीन साल पहले शुतुरमुर्ग का जोड़ा लाया गया था। इनमें से मादा शुतुरमुर्ग ने पहली बार अंडा देना शुरू किया है। अभी तक 7 अंडे दे चुकी है और अंडे देने की प्रक्रिया जारी है। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि सामान्यत: नर-मादा शुतुरमुर्ग मिलकर अपने अंडों को सेते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता देख जंगल सफारी डायरेक्टर एम. मर्सीबेला व एसडीओ अभय पांडे के निर्देश पर नंदनवन में कोलकाता से आर्टिफिशियल इनक्यूबेटर लाया गया है, जिसमें शुतुरमुर्ग के 6 अंडे के अलावा विदेशी तोता, मकाउ के अंडे को भी सेता करने के लिए रखा गया है। जिसका सकारात्मक परिणाम मिलेगा।
हर अंडे का वजन 1 किलो से डेढ़ किलो: डॉ. वर्मा ने बताया कि मादा शुतुरमुर्ग पहली बार में 12 से 15 अंडे देती है। प्रत्येक अंडे का वजन एक किलो से डेढ़ किलो का होता है। मादा शुतुरमुर्ग की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे ही अंडे देने की संख्या भी बढ़ती जाती हैं। अंडों को सेकने का काम नर-मादा मिलकर करते हैं। अंडे देने के 40 से 42 दिन बाद बच्चे बाहर निकलते हैं। नंदनवन में शुतुरमुर्ग के जोड़े को पहले छोटे बाड़े में रखा गया था। लेकिन यहां के हिरण को जंगल सफारी ले जाने के बाद शुतुरमुर्ग को चार माह पहले ही उनके बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया है। गर्मी में पानी का इंतजाम करनेके लिए स्प्रिंकलर लगाया गया है।
शुतुरमुर्ग के बारे में ये भी जानें
1. पक्षी प्रजाति का होने के बावजूद उड़ नहीं सकता।
2. जरूरत पडऩे पर 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से भाग सकता है।
3. पक्षी प्रजाति में इसके अंडे सबसे बड़े होते है।
4. संकट में जमीन में सटकर अपने को छुपाने की कोशिश करता है या भाग जाता है।
5. शुतुरमुर्ग का वजन 60 से 130 किलोग्राम तक होता है।
ये हैं आहार
शुतुरमुर्ग का आहार मूलत: घास-फूस, फल, अनाज, पत्तिया, छोटे पौधे, बीज, छिपकलियां, कीड़े-मकोड़े हैं। दांत नहीं होने के कारण वह खाना साबुत निगल जाता है। उसको पचाने के लिए उसे कंकड़ खाने पड़ते हैं।