छत्तीसगढ़ में सत्ता जाने के बाद भाजपा को आजीवन सहयोग निधि के पड़े लाले

रायपुर(realtimes) राज्य में 15 साल तक सत्ता में रहने के कारण भाजपा काे कभी भी अपने आजीवन सदस्यता निधि काे लेकर परेशानी का सामना नही करना पड़ा। लेकिन इधर सत्ता जाने के बाद भाजपा का सदस्यता अभियान पिछले तीन सालों से चला ही नहीं है। चाैथे साल के अभियान काे लेकर भी काेई जानकारी नहीं है। सत्ता जाने के बाद तो भाजपा को आजीवन सहयोग निधि के भी लाले पड़ गए हैं। किसी ने फूटी कौड़ी नहीं दी है। जब भाजपा सत्ता में थी, तब 2018 में चुनाव से पहले चले अभियान में करीब तीन कराेड़ मिले थे। इसके बाद से कोई अभियान चला ही नहीं है। भाजपा के दिग्गज नेता यह कहते हुए पल्ला झाड़ लेते हैं कि जब अभियान चलेगा तभी सहयोग किया जाएगा।
राष्ट्रीय संगठन के निर्देश पर भाजपा हर साल अपने सक्रिय सदस्यों से आजीवन सहयोग निधि लेती है। इसमें सदस्य अपनी इच्छा के मुताबिक एक से दस हजार रुपए तक देते हैं। कई ज्यादा सक्षम सदस्य ज्यादा निधि भी देते हैं। लेकिन यह निधि तभी दी जाती है, जब इसके लिए अभियान चलता है। इस अभियान के साथ आमतौर पर सदस्यता अभियान भी चलाया जाता है। यह अभियान हर हार साल फरवरी मार्च में चलता है।
तीन साल पहले मिले थे तीन करोड़
भाजपा का आजीवन सहयोग निधि लेने का अंतिम बार अभियान 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले चलाया गया था। इस समय चूंकि पार्टी सत्ता में थी और सभी को यही उम्मीद थी कि भाजपा की जीत होगी, ऐसे में सभी ने खुले हाथों से सहयोग निधि दी थी। तब करीब तीन करोड़ रुपए एकत्रित हुए थे, सबसे ज्यादा करीब 50 लाख राजधानी रायपुर से ही एकत्रित हुए थे। भाजपा से जुड़े लोग बताते हैं आमताैर पर रायपुर को ही राजधानी होने के कारण सबसे ज्यादा लक्ष्य दिया जाता था। तीन साल पहले भी रायपुर को सबसे ज्यादा लक्ष्य दिया गया था। तब रायपुर में लक्ष्य से ज्यादा ही सहयोग निधि एकत्रित हुई थी। इसी के साथ दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, कोरबा, राजनांदगांव जैसे बड़े शहरों से भी ज्यादा सहयोग निधि मिली थी। छोटे शहरों से कम निधि एकत्रित हुई थी।