
रायपुर(realtimes) खाद्य तेलों की एमआरपी के कारण लुट रहे ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है कि अब इसका उत्पादन करने वाले इसकी एमआरपी पर अब कीमत 40 फीसदी के स्थान पर 20 फीसदी ही ज्यादा लिख सकेंगे। अब तक 40 फीसदी कीमत ज्यादा अंकित हाेने के कारण चिल्हर काराेबारी जमकर फायदा उठाते हैं। बहुत से दुकानदार एमआरपी से महज पांच से दस रुपए कीमत कम करके बेचते हैं, इससे ग्राहकों को बहुत नुकसान होता है। लेकिन अब चिल्हर कारोबारियों की इस लूट पर विराम लगने वाला है।
कोरोना की तीसरी लहर में राजधानी रायपुर के साथ पूरे प्रदेेश में जमकर मुनाफाखोरी हो रही है। इसमें खाद्य तेलों में जमकर लूट मची हुई है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि हर तरह के खाद्य तेलों में 40 फीसदी कीमत ज्यादा अंकित रहती है। अगर किसी खाद्य तेल की कीमत दो सौ रुपए हैं तो उसकी एमआरपी 280 रुपए रहती है। ऐसे में चिल्हर कारोबारी इसको अपनी मर्जी से बेचते हैं। नियमित ग्राहकों को यह 220 से 230 रुपए तक मिल जाता है, लेकिन जो नियमित ग्राहक नहीं हैं, उनसे 270 रुपए तक वसूल लिए जाते हैं। सबसे ज्यादा बिकने वाले सोया तेल में 170 से 200 रुपए तक एमआरपी अंकित रहती है, जबकि यह वास्तव में 130 से 150 रुपए तक बिकता है। लेकिन इसको एमआरपी से पांच से दस रुपए कम में बेचा जाता है।
लूट से बचेंगे ग्राहक
थोक कारोबारी प्रेम पाहूजा के मुताबिक अब केंद्र सरकार ने सभी तरह के तेलों की एमआरपी में 20 फीसदी से ज्यादा मूल्य अंकित न करने का प्रवाधान कर दिया है। ऐसा होने से अब ग्राहकों के साथ होने वाली लूट पर अंकुश लगेगा। अब अगर किसी तेल की कीमत 120 रुपए हैं तो उसकी एमआरपी 144 रुपए से ज्यादा नहीं लिखी जा सकेगी। इसी तरह से 150 रुपए कीमत वाले तेल की एमआरपी 180 रुपए अंकित होगी। ऐसा होने से चिल्हर कारोबारी ग्राहकों को यह बोलकर ज्यादा कीमत पर तेल नहीं बेच पाएंगे कि उसकी एमआरपी ज्यादा है।