दिग्गज नेताओं काे चिंतन शिविर से दरकिनार करने के आखिर मायने क्या है?

रायपुर(realtimes) भाजपा के बस्तर में चल रहे चिंतन शिविर में जिस तरह से दिग्गज नेताओं काे दरकिनार किया गया है, उससे राष्ट्रीय संगठन ने एक साफ संकेत दिया है कि आने वाले समय में किसी भी दिग्गज नेता की संगठन की नजर में काेई अहमियत नहीं है। संगठन का एकमात्र लक्ष्य 2023 में सत्ता में वापस आना है, इसके लिए संगठन में आने वाले समय में बड़ा बदलाव हाेगा। इस बदलाव में क्या हाे सकता है, इसकी एक बानगी ही है चिंतन शिविर से दिग्गजाें काे अलग रखना।
भाजपा ने यूं तो मिशन 2023 की तैयारी काफी पहले से प्रारंभ कर दी है। लेकिन अब मिशन 2023 के लिए एक रणनीति बनाकर इस पर तेजी से काम करना है। इसके लिए रणनीति बनाने बस्तर को चुना गया है क्योंकि भाजपा के हाथ से पिछले चुनाव में आदिवासी सीटें फिसल गई थीं। भाजपा को अब वापस इन सीटों को अपने खाते में लाना है। इसी के साथ प्रदेश संगठन का नया खाका भी तैयार करना है। ऐसे में इन सबके लिए ज्यादा भीड़ एकत्रित न करते हुए चुनिंदा नेताओं को ही चिंतन शिविर में शामिल किया गया।
जिन भर भराेसा उनको ही एंट्री
जानकाराें की मानें ताे शिविर में राष्ट्रीय संगठन को जिन पर ज्यादा भरोसा है, उनकाे ही शिविर में बुलाया गया है. हालांकि कुछ को मजबूरी में भी बुलाया गया। जिनको बुलाया गया है, उसमें सारे सांसद, विधायक और कोर ग्रुप के सारे सदस्य शामिल हैं। कोर ग्रुप में शामिल सदस्यों में महज विक्रम उसेंडी और रामप्रताप सिंह के नाम ही अलग हैं, बाकी नाम सांसद, विधायकों में से हैं। इसी के साथ इसमें प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय का नाम भी शामिल है। सबसे अहम प्रदेश संगठन की जेबो कार्यकारिणी में से महज आधा दर्जन को ही शामिल किया गया है। इसमें प्रदेशाध्यक्ष के अलावा चारों महामंत्री नारायण सिंह चंदेल, भूपेंद्र सवन्नी, किरण देव और संगठन महामंत्री पवन साय शामिल है। इनके अलावा प्रदेश मंत्री ओपी चौधरी और विजय शर्मा को भी बुलाया गया है, लेकिन बाकी प्रदेश मंत्रियों को नहीं बुलाया गया है।
क्या इन पर भराेसा नहीं ?
आश्चर्यजनक तरीके से संगठन के कोषाध्यक्ष और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को भी नहीं बुलाया गया है। उपाध्यक्षों में एक लता उसेंडी को बस्तर की आदिवासी नेता होने के नाते शिविर में शामिल किया गया है। इसी के साथ प्रवक्ता केदार कश्यप भी बैठक में हैं। लेकिन अन्य किसी प्रवक्ता को नहीं बुलाया गया है। पूर्व मंत्रियों को भी दरकिनार किया गया है। इनमें अमर अग्रवाल और राजेश मूणत जैसे दिग्गज पूर्व मंत्रियों के नाम हैं। एक पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय को जरूर बैठक में बुलाया गया है। इसके अलावा पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, कृष्णमूर्ति बांधी, पुन्नुलाल मोहले, ननकी राम कंवर वर्तमान में विधायक होने के कारण बैठक में शामिल हो रहे हैं। डॉ. रमन सिंह विधायक होने के साथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। इसी तरह से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक भी विधायक होने के साथ कोर ग्रुप में शामिल हैं। सरोज पांडेय और रामविचार नेताम को राज्य सभा सांसद होने के नाते बुलाया गया है। आदिवासी नेता नंदकुमार साय बैठक में शामिल किया गया है, लेकिन बस्तर के आधा दर्जन आदिवासी नेता पूर्व सांसद दिनेश कश्यप सहित बैठक में नहीं बुलाए गए हैं। ऐसा में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हाे रहा है कि क्या जिनकाे दरकिनार किया गया है, उन पर अब राष्ट्रीय संगठन का भराेसा नहीं है। चर्चा ताे यही हाे रही है कि जिनकाे नाे-एंट्री कहा गया है, आने वाले समय में उनकाे काेई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली नहीं है।