राज्य सरकार ने पैदा की खाद की किल्लत, अब केंद्र पर लगाया जा रहा है आराेपः डॉ रमन

रायपुर(realtimes) प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है, राज्य में प्रदेश सरकार द्वारा ही खाद की किल्लत पैदा की गई है। अब इसके लिए केंद्र सरकार पर आराेप लगाया जा रहा है। सच्चाई यह कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है। राज्य सरकार ने खाद का जितना स्टाक मांगा था, उसकी आपूर्ति केंद्र सरकार ने की है। राज्य सरकार ने खाद वितरण में गड़बड़ी और घोटाला किया, जिससे किसानों को खाद की कमी हो रही है। 2 जुलाई तक की स्थिति में केंद्र से राज्य सरकार को मिला 1.69 लाख मीट्रिक टन यूरिया अभी स्टॉक में है, वहीं 0.76 लाख मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है।
डॉ. रमन ने अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश सरकार पर सवाल दागा कि भूपेश बघेल सरकार उत्तर दे, केंद्र सरकार द्वारा दिया गया खाद कहां गया? किसके संरक्षण में खाद की कमी बताकर कालाबाजारी की जा रही है? उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी राज्यों को मांग के अनुरूप बिना भेदभाव के यूरिया, डीएपी और अन्य उर्वरक भेजे गए हैं। दुर्भावनावश राज्य की भूपेश बघेल सरकार अपनी नाकामी छुपाने केंद्र पर मिथ्या आरोप लगा रही है। डॉ. रमन ने कहा, राज्य सरकार जान-बूझकर खाद की कमी दिखाने का प्रयास कर रही है। सरकार खाद का सही वितरण नहीं कर रही है। नकली खाद बेचने वाले माफिया सक्रिय हैं। इनको प्रश्रय कौन दे रहा है, ये सरकार को बताना चाहिए। डॉ. रमन ने आरोप लगाया कि किसानों को वर्मी कंपोस्ट खरीदने के लिए दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा, दो रुपए में गोबर लेकर 10 रुपए में किसानों को खरीदने मजबूर किया जा रहा है।
खाद का भरपूर स्टॉक
डॉ. रमन ने कहा, आप डेटा को देखेंगे तो समझ जाएंगे कि आखिर कैसे यह सरकार खाद की जमाखोरी कर कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही है। राज्य में 2 जुलाई 2021 तक यूरिया का क्लोजिंग स्टॉक 1.69 लाख मीट्रिक टन, डीएपी का क्लोजिंग स्टॉक 0.76 लाख मीट्रिक टन है। एमओपी का क्लोजिंग स्टॉक 0.46 लाख मीट्रिक टन है और एनपीकेएस क्लोजिंग स्टॉक 0.57 लाख मीट्रिक टन है। अब यहां सवाल यह उठता है कि जब क्लोजिंग स्टॉक में खाद है तो फिर उसकी कमी क्यों बताई जा रही है। राज्य सरकार की अव्यवस्थाओं के कारण पर्याप्त खाद होने के बाद भी किसानों को नहीं मिल रही है। यह तो राज्य सरकार की असफलता है, इसमें केंद्र सरकार कैसे जिम्मेदार हो गई।
क्यों मांग रहे अतिरिक्त खाद
डॉ. रमन ने कहा, जब 15 करोड़ किलो कंपोस्ट खाद राज्य सरकार ने तैयार की है तो फिर केंद्र सरकार से पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 30 प्रतिशत अतिरिक्त रासायनिक खाद क्यों मांगी गई है। जब हर साल 10 से 12 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता पड़ती थी, फिर बिना रकबा बढ़ाए आखिर 15 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता प्रदेश को क्यों पड़ गई। खाद का किसानों को पर्याप्त वितरण किए बिना सहकारी समितियों से खाद कैसे खत्म हो गई। खाद का सही वितरण न करने वालों पर सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की जा रही? आखिर खाद की कमी बताकर नकली खाद बेचने वाले माफिया किसके संरक्षण में फल-फूल रहे हैं। इन सारी बातों का प्रदेश सरकार को जवाब देना चाहिए।