अमानक दवा की आपूर्ति का मामला, मंत्री ने कहा संबंधित कंपनी से वसूली की कार्रवाई की गई

रायपुर(realtimes) छत्तीसगढ़ विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान सरकारी अस्पतालों में अमानक दवा की आपूर्ति का मामला गरमाया। भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कई दवाएं अमानक भेजी गई है इससे लोगों को साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सप्लाई के समय गुणवत्ता परीक्षण में दवा सही पाई गई थी। शिकायत आने के बाद दूसरे गुणवत्ता परीक्षण में अमानक पाई गई। 19 हजार 800 वाइल में से केवल 600 का ही उपयोग होने के बाद इसे संबंधित कंपनी को वापस कर दिया गया।
भाजपा विधायक ने अमानक अमोक्सिसिलिन ओरल सस्पेंशन दवा का जिक्र करते हुए दावा किया कि सीजीएमएससी ने अमानक होने की वजह से बेच नंबर एमएपी 9014 वाले दवा सभी अस्पतालों से वापस मंगाने के लिए पत्र लिखा है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाएं भेजी गई है। जिस दवा का भाजपा विधायक जिक्र कर रहे हैं। वह 6 नवंबर 2019 को क्रय आदेश के आधार पर आपूर्ति कर 13 फरवरी 2020 को मानक पाए जाने के बाद ही 18 फरवरी से 13 जून तक स्वास्थ्य इकाइयों को भेजा गया है। 31 अगस्त को शिकायत आने के बाद इसके वितरण पर रोक लगाया गया। पुन: गुणवत्ता परीक्षण के निर्देश दिए गए। शिकायत के बाद में एक बैच को अमानक घोषित करते हुए संबंधित फर्म को इसे वापस लेने के निर्देश दिए गए। साथ ही भुगतान राशि की वसूली की कार्रवाई भी की गई। प्रदेश में कहीं भी सरकारी अस्पतालों में अमानक दवा खरीदी नहीं की जाती। न सप्लाई ही की जाती है।
पांच बार अमानक पाए जाने पर होती है कार्रवाई
मंत्री ने कहा कि समय-समय पर सरकारी अस्पतालों में भेजे जाने वाले दबाव की जांच कराई जाती है। उन्होंने गताया कि जिस कंपनी की दवा की बात आ रही है, उसे नागपुर के लैब से जांच कराने पर अमानक होने की पुष्टि हुई। हालांकि भाजपा विधायक ने मामले में केपनी पर कार्रवाई की मांग की। मंत्री ने कहा कि दवा की तीन बार टेस्टिंग होती है। किसी कंपनी के द्वारा सप्लाई दवा के पांच बार अमानक पाए जाने पर ब्लैकलिस्टेड करने का नियम है।