पेट्रोल-डीजल की कीमत से खाद्य तेल, दालों में भी महंगाई की आग

मालभाड़ा बढ़ने से धीरे-धीरे चौतरफा बढ़ रहे रेट
रायपुर . पेट्रोल, डीजल के साथ रसोई गैस की कीमत ने वैसे ही आम आदमी जीना मुश्किल कर दिया है, अब खाद्य तेलों के साथ दालें एक बार फिर से महंगी होने लगी है। इनके महंगे होने का कारण पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत को बताया जा रहा है। मालभाड़ा बढ़ने के कारण धीर-धीरे हर वस्तु पर महंगाई का असर दिखने लगा है।
जिस भाजपा की आज केंद्र में सरकार है, उस भाजपा ने 2013 में देश में महंगाई को लेकर देश को सिर पर उठा लिया था। आज भी लोगों को याद है कि भाजपा के दिग्गज नेता पेट्रोल, डीजल के साथ गैस की कीमतों को लेकर सड़कों पर गैस सिलेंडर लेकर आंदोलन करते नजर आए थे। आज देश में उसी भाजपा की सरकार है और महंगाई का आलम यह है कि हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है।
खाद्य तेलों में फिर तेजी
प्रदेश के साथ देशभर में सबसे ज्यादा खाद्य तेलों में खपत सोया तेलों की होती है। इसमें कीर्ति गोल्ड ऐसा ब्रांड है, जो सबसे कम कीमत पर बिकता है। पिछले साल ही इसकी कीमत चिल्हर में 80 रुपए के आसपास रही है, लेकिन कोरोना काल के चलते इसकी कीमत में लगातार तेजी आती चली गई है। जो तेल पिछले साल के अंत में थोक में 105 रुपए के आसपास था, वह नए साल में 125 रुपए हो गया है, इसके बाद इसकी कीमत में कुछ कमी आने लगी थी, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगातार इजाफा होने के कारण एक बार फिर सोया तेल महंगा हो गया है। थोक में जहां यह 115 से 120 रुपए तक चला गया है, वहीं चिल्हर में 120 से 125 रुपए तक बिक रहा है। इसी के साथ सरसों तेल ने भी इस बार रिकार्ड बना दिया है। सरसाें का तेल कुछ समय पहले ही रिकार्ड 170 रुपए तक चला गया था, लेकिन इसकी कीमत में भी कमी आई रही थी, लेकिन एक बार फिर तेजी आ हई है। यह थोक में 140 से 145 और चिल्हर में 150 से 160 तक बिक रहा है। फल्ली तेल तो कीमत का दोहरा शतक लगा चुका है, लेकिन इसकी कीमत में भी राहत के बाद एक बार फिर से आफत आने लगी है। थोक में यह 150 से 155 और चिल्हर में 170 रुपए तक बिक रहा है।
पेट्रोल-डीजल, गैस की रिकार्ड कीमत
पेट्रोल, डीजल के साथ गैस की भी इस समय रिकार्ड कीमत हो गई है। 2013 में जब कच्चे देश की कीमत प्रति बैरल सौ डालर से भी ज्यादा थी, उस समय पेट्रोल की कीमत 78 रुपए के आसपास पहुंची थी, लेकिन आज स्थिति यह है कि कच्चे तेल की कीमत 2013 के मुकाबले आधी है, लेकिन कीमत 2013 से भी ज्यादा है। कई राज्यों में ताे पेट्रोल की कीमत शतक के पार हो गई है। हर राज्य में इसकी कीमत रिकार्ड स्तर पर है। छत्तीसगढ़ में इसकी कीमत सोमवार को 89.36 रुपए रही। इसके पहले कभी इतनी कीमत नहीं रही। डीजल की कीमत 87.70 रुपए और रसोई गैस की कीमत 840.50 रुपए है। इस माह इसकी कीमत में दो बार इजाफा हुआ है, पहले 50 रुपए और फिर 25 रुपए। दिसंबर में भी दो बार 50-50 रुपए कीमत बढ़ी थी।
दालें महंगी, प्याज में फिर तेजी
दालों की कीमत भी एक बार फिर से आसमान पर जाने लगी है। जो राहर दाल पिछले साल पहली तिमाही में साल 75 से 80 रुपए तक बिक रही थी, उसने आगे चलकर 130 रुपए तक बिकने का रिकार्ड बनाया, लेकिन नए साल में इसकी कीमत में कमी आई। थोक में दाल 90 रुपए तक आ गई थी। चिल्हर में अच्छी क्वीलिटी की दाल सौ रुपए तक मिलने लगी थी, लेकिन अब फिर से इसमें भी तेजी आ गई है। थोक में अच्छी दाल 104 रुपए और चिल्हर में 110 से 115 रुपए तक मिल रही है। सबसे सस्ती बिकने वाली चना दाल थाेक में 65 और चिल्हर में 75 रुपए तक बिक रही है। मूंगदाल थोक में 105 और चिल्हर में 120 रुपए तक बिक रही है। पिछले साल प्याज ने आंसू निकलने का काम किया था, यह रिकार्ड सौ रुपए के पार तक गया। इसी के साथ आलू की कीमत भी 50 रुपए तक गई है। प्याज नए साल में 25 रुपए तक आ गया था, लेकिन अब फिर से चिल्हर में 50 रुपए तक बिक रहा है।आलू जरूर चिल्हर में 10 से 15 रुपए में मिल रहा है।
मालभाड़े का असर
तेल कारोबारी प्रेम पाहूजा का कहना है, तेल, दालों सहित जिस भी वस्तु में इस समय कीमत बढ़ रही है, उसका सबसे बड़ा कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें हैं। इसके कारण मालाभाड़ा बढ़ गया है। एक तरफ मालभाड़ा बढ़ा है, वहीं जीएसटी का भी असर है। किसी सामान काे लाने के लिए अगर पहले भाड़ा सौ रुपए लगता था और आज 140 रुपए लग रहा है तो अतिरिक्त लगने वाले 40 रुपए पर जीएसटी भी लग जाती है। ऐसे में दोहरा असर होने के कारण कीमतें बढ़ रही हैं।