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सभी छिपे हुए नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हों : अमित शाह

सभी छिपे हुए नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हों : अमित शाह

नयी दिल्ली. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सभी छिपे हुए नक्सलियों से यथाशीघ्र आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार 31 मार्च 2026 से पहले देश को नक्सलवाद के अभिशाप से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने कहा कि कोबरा कमांडो और छत्तीसगढ़ पुलिस ने राज्य के बीजापुर जिले में संचालित विभिन्न अभियानों में आधुनिक हथियारों और विस्फोटक सामग्री के साथ 22 कुख्यात नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि सुकमा के बड़ेसेट्टी पंचायत में 11 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे यह पंचायत पूरी तरह नक्सल-मुक्त हो गई है। शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा, ‘‘छिपे हुए नक्सलियों से मेरी अपील है कि मोदी सरकार की आत्मसमर्पण नीति को अपनाकर यथाशीघ्र हथियार डालें और मुख्यधारा में शामिल हों। इकत्तीस मार्च 2026 से पहले हम देश को नक्सलवाद के दंश से मुक्त करने के लिए संकल्पित हैं।” केंद्रीय गृहमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि ‘‘सुकमा (छत्तीसगढ़) में अन्य 22 नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण किया, जिससे आत्मसमर्पण करने वालों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो गई है।” उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलमुक्त भारत अभियान की दिशा में इस सफलता के लिए मैं सुरक्षा बल के जवानों और छत्तीसगढ़ पुलिस को बधाई देता हूं।” गृहमंत्री ने मध्य प्रदेश के नीमच में बृहस्पतिवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नक्सलवाद अब भारत के सिर्फ चार जिलों तक सीमित रह गया है। उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलवाद भारत के सिर्फ चार जिलों तक सीमित रह गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 31 मार्च 2026 तक देश से यह समस्या समाप्त हो जाएगी। सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और सीआरपीएफ, विशेषकर इसकी कोबरा बटालियन देश से नक्सलवाद को खत्म करने में प्रमुख भूमिका निभा रही है।” कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन (कोबरा) सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है, जो गुरिल्ला और जंगल युद्ध, विशेष रूप से नक्सली खतरे से निपटने में, अपनी दक्षता के लिए जानी जाती है। शाह ने कहा कि सीआरपीएफ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 400 से अधिक अग्रिम परिचालन चौकियां स्थापित की हैं और इसके कारण इन क्षेत्रों में हिंसा में 70 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है तथा ‘‘हम अब इसे समाप्त करने के करीब हैं।”

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