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जूट के एमएसपी में 315 रुपये की बढ़ोतरी

  • पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जूट के एमएसपी को मंजूरी प्रदान की है। 2025-26 के सीजन के लिए कच्चे जूट का एसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। पिछले सीजन 2024-25 के मुकाबले जूट के मूल्य में 315 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि 2014-15 के बाद से 2025-26 के दौरान जूट के खरीद मूल्य को 2400 रुपये से बढ़ाकर 5650 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। यानि इन सालों में एमएसपी में 2.35 गुना की वृद्धि की गई है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देश में प्राप्त उपलब्धियों को स्वीकारते हुए आज इसे अगले पांच वर्षों तक जारी रखने को मंजूरी प्रदान की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गयी। केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकार वार्ता में मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मिशन के तहत देश ने कई ऐतिहासिक लक्ष्य हासिल किए हैं। इससे देशभर में करीब 12 लाख स्वास्थ्यकर्मी जुड़े हैं। कोविड के भयावह काल का सामना करने में मिशन ने बड़ी भूमिका निभाई है और देश को 2.20 अरब कोविड टीके लगाए तथा सर्टिफिकेट बांटे गए हैं। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मंत्रिमंडल को वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रगति से अवगत कराया गया।

मंत्रिमंडल को मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, मृत्यु दर और कुल प्रजनन दर में त्वरित गिरावट तथा टीबी, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, तपेदिक, कुष्ठ रोग, वायरल हेपेटाइटिस आदि जैसे विभिन्न रोगों के कार्यक्रमों के संबंध में प्रगति और राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन जैसी नई पहलों से भी अवगत कराया गया।

 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत 2005 में की गई थी, जिसका उद्देश्य जिला अस्पताल (डीएच) स्तर तक ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से कमजोर समूहों को सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना था। वर्ष 2012 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन की अवधारणा बनाई गई और एनआरएचएम को दो उप-मिशनों यानी एनआरएचएम और एनयूएचएम के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रूप में पुन: नामित किया गया।

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