छत्तीसगढ़ के पुरातत्वविद् पद्मश्री अरुण शर्मा का निधन : 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस; इन्हीं के सबूत बने राम मंदिर की नींव
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठापर वे बहुत खुश थे। उनकी आखिरी इच्छा थी कि वे रामलला के दर्शन करें, लेकिन सेहत खराब होने के चलते वे नहीं जा पाए थे। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत और पुरातात्विक संपदा को सामने लाने में इनका बड़ा योगदान है।
ऐतिहासिक स्थल सिरपुर और राजिम में उन्होंने पुरातात्विक उत्खनन के जरिए प्राचीन छत्तीसगढ़ के इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया।
इन्हीं की मांग पर अयोध्या में कराई गई थी खुदाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर अरुण शर्मा की मांग पर ही खुदाई करवाई गई थी। उन्होंने ही खुदाई में मिले अवशेषों की रिसर्च के आधार पर मंदिर होने के सबूत कोर्ट में पेश किए थे। यही सबूत फैसले का प्रमुख आधार बने। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर वे बहुत खुश थे।
उनकी आखिरी इच्छा थी कि वे रामलला के दर्शन करें, लेकिन सेहत ठीक नहीं होने से उनकी ये इच्छी अधूरी रह गई।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन की इच्छा रह गई अधूरी।
अयोध्या राम मंदिर के साक्ष्यों पर लिखी किताब
अरुण शर्मा ने पुरातत्व और इससे जड़े विषयों पर 35 से ज्यादा किताबें लिखी हैं। अयोध्या मामले में खुदाई के दौरान जितने भी साक्ष्य मिले, उस पर एक किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’ नाम की किताब भी इन्होंने लिखी है। ये किताब अंग्रेजी भाषा में लिखी गई है।
अरुण शर्मा का जन्म 1933 में हुआ था। साल 2017 में भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे छत्तीसगढ़ शासन के पुरातात्विक सलाहकार भी थे।
आज अंतिम संस्कार
पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का अंतिम संस्कार आज रायपुर के महादेव घाट स्थित मुक्तिधाम में किया जाएगा।अंतिम यात्रा सुबह 10 बजे उनके निवास चंगोराभाठा से महादेव घाट के लिए रवाना होगी।
‘अब बस रामलला के दर्शन की इच्छा है। अगर गाड़ी में कोई लेकर जाए तो मैं चला जाऊंगा’
पद्मश्री अरुण शर्मा ने ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’ नाम की किताब भी लिखी है।
अब अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। शर्मा की मांग पर ही अयोध्या में खुदाई करवाई गई थी। उन्होंने ही खुदाई में मिले अवशेषों के रिसर्च के आधार पर कोर्ट में मंदिर होने के सबूत पेश किए थे। यही सबूत फैसले में प्रमुख आधार बने।