क्या…बिजली बिल हॉफ योजना होगी बंद?…पढ़ें

रायपुर(realtimes) प्रदेश में बिजली बिल हॉफ योजना काे लेकर राजनीति होने लगी है। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से अब तक इसको लेकर काेई भी अधिकृत बयान नहीं आया है, ऐसे में इस समय उपभोक्ताओं के मन में एक ही सवाल चल रहा है कि बिजली बिल हॉफ योजना का क्या होगा। जिस तरह से प्रदेश के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की अच्छी योजनाओं की समीक्षा करके उससे तय है कि फिलहाल तो बिजली बिल हॉफ योजना को बंद होने का करंट लगने वाला नहीं है। वैसे भी यह आम जनता से जुड़ी बड़ी योजना है, इसको बंद करके भाजपा सरकार जनता की नाराजगी मोल लेने का रिस्क नहीं लेगी। आने वाले समय में लोकसभा का चुनाव भी है। योजना के बंद होने से भाजपा का बड़ा नुकसान हो जाएगा।
प्रदेश में पिछली बार कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक बिजली उपभोक्ताओं को मार्च 2019 से बिजली बिल हॉफ योजना का लाभ देना प्रारंभ किया है। इस योजना में 400 यूनिट तक हर वर्ग के उपभोक्ताओं का बिजली बिल हॉफ किया जाता है। जब योजना लागू की गई तो इसमें करीब 27 लाख उपभोक्ताओं को योजना का लाभ मिला और 20 लाख वंचित हुए थे। इसके बाद जैसे ही योजना के बारे में उपभोक्ताओं को मालूम हुआ तो वे अपना बकाया जमा करके योजना का लाभ लेने लगे। योजना लागू होने के बाद से अब तक 18 लाख उपभोक्ता बढ़े हैं। योजना में पहले साल 43 लाख उपभोक्ताओं ने लाभ उठाया। इसके बाद अगले साल कोरोना के कारण यह आंकड़ा 38 लाख 59 हजार हो गया। लेकिन कोरोना समाप्त होने के बाद 21-22 में आंकड़ा बढ़कर 44 लाख 80 पहुंचा और इस समय 45 लाख से ज्यादा उपभोक्ता योजना का लाभ ले रहे हैं।
20 हजार करोड़ की लगेगी सब्सिडी
साल दर साल जैसे-जैसे उपभोक्ताओं की संख्या में इजाफा होते गया, सब्सिडी भी बढ़ती चली गई। पहले साल 19-20 में 43 लाख उपभोक्ताओं को 3434 करोड़ की सब्सिडी दी गई। इसके बाद कोरोना के कारण 20-21 में उपभोक्ता 38 लाख 59 हजार हुए तो सब्सिडी कम होकर 3085 करोड़ हो गई। लेकिन इसके बाद 21-22 में उपभोक्ताओं की संख्या 44 लाख 80 हजार हो गई तो सब्सिडी रिकॉर्डतोड़ 3963 हजार हो गई। तीन साल में प्रदेश सरकार ने 10 हजार 482 करोड़ की सब्सिडी दी है। सत्र 22-23 में उपभोक्ताओं की संख्या में और इजाफा होने के कारण सब्सिडी चार हजार करोड़ से ज्यादा की दी गई। चार साल में 14 हजार करोड़ की सब्सिडी दी गई है। पांचवां साल चल रहा है। इस साल भी करीब चार हजार करोड़ की सब्सिडी लगेगी। अब ज्यादा उपभोक्ता होने के कारण हर साल करीब चार हजार लगेंगे ताे पांच साल में राज्य सरकार के 20 हजार कराेड़ के आस-पास का खर्च होने की संभावना है।
बंद करना आसान नहीं होगा
भाजपा से जुड़े लोग भी कहते हैं कि किसी भी योजना को बंद करना आसान नहीं होता है। जब कोई योजना सीधे आम जनता से जुड़ी रहती है तो उसको बंद करने का सीधा नुकसान योजना बंद करने वाली पार्टी को ही उठाना पड़ता है। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि इस योजना को बंद किया जाएगा। योजना को बंद करने के लिए कैबिनेट में इसको बंद करने का प्रस्ताव लाना पड़ेगा। योजना को बंद किया जाएगा तो इसको लेकर विपक्ष भी जनता के साथ खड़ा हो जाएगा और इसका भारी विरोध होगा, जिसका नुकसान भाजपा को होगा। भाजपा अपना नुकसान कभी नहीं करना चाहेगी।