केशकाल में किसानों पर हुए लाठी चार्ज की धरमलाल कौशिक ने की निंदा

रायपुर, (Realtimes) प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बस्तर के केशकाल में हुए किसानों पर लाठीचार्ज की भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि कई दिनों से धान खरीदी को लेकर धरने पर बैठे किसानों की कोई सुन नहीं रहा था और लोकतांत्रिक ढंग से अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों पर देर रात लाठीचार्ज करना कांग्रेस सरकार का संवेदनहीन कृत्य है।
उन्होंने कहा कि इस तरह से प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज करवा कर प्रदेश की कांग्रेस सरकार किसानों को भयभीत करना चाहती है लेकिन इससे किसान डरने वाले नहीं है और वे अपनी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में कांग्रेस सरकार के खिलाफ खड़े हैं।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में धान खरीदी को लेकर जो अफरा-तफरी का माहौल है। पूरे प्रदेश के किसानों के साथ हो रहे अन्याय के विरुध्द हमारी आवाज बुलंद रहेगी। हम हर मोर्च पर किसानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि केशकाल में आंदोलित किसानों की मांगों को समय रहते मान लिया जाता तो जो परिस्थितियां निर्मित हुई है, वह नही होती।
पूरे प्रदेश में अघोषित रूप से लंबे समय से धान खरीदी बंद है। किसानों को टोकन मिल जाने के बाद भी उनका धान नहीं खरीदा जा रहा है, अब जो टोकन जारी हुआ है उसका क्या होगा इस पर भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बस्तर के बीजापुर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, कोण्डागांव और केशकाल में लगातार किसान प्रदर्शन कर रहे हैं इस के बाद भी सरकार मौन है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में बारदाना की कमी है और धान खरीदी केन्द्रों में लक्ष्य से भी कम धान खरीदा जा रहा है जिसके कारण किसान प्रदर्शन करने के लिए विवश है। पूरे प्रदेश में धान खरीदी निर्धारित समय से भी कम दिनों के लिए किया गया जिसके लिए कांग्रेस की सरकार पूरी तरह से जिम्मदार है।
कोंटा से लेकर कोटा तक और मैनपुर से लेकर मैनपाट तक किसानों की स्थिति एक जैसी है। धान खरीदी के नाम पर जो छलावा किसानों के साथ हुआ है, इससे बड़ा छलावा छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद किसानों के साथ कभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि दिखावा, छलावा के अलावा इस सरकार की कोई और पहचान नहीं है। कौशिक ने घटना में घायल हुए किसानों को जल्द मुआवजा देने, उनके लिए निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा की बेहतर करने और आंदोलनकारी किसानों की सभी मांगे तुरंत प्रभाव से मानने की मांग की है। माने।