मीसा बंदियों की सम्मान निधि बंद, ये है कांग्रेस-भाजपा की प्रतिक्रिया

रायपुर(realtimes) मीसा बंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि को बंद करने के फैसले के बाद कांग्रेस और भाजपा की अलग अलग प्रतिक्रिया सामने आई है। एक तरफ कांग्रेस ने जहाँ इसका स्वागत किया है, वहीँ दूसरी तरफ भाजपा ने इसे अनुचित बताया है। उल्लेखनीय है की रियल टाइम्स ने सबसे पहले इस ख़बर को प्रकाशित की थी।
मीसाबंदियों का सम्माननिधि रोकना अनुचित: कौशिक
प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आपातकाल के दौरान विरोध की वजह से जेलों में बंद मीसाबंदियों की सम्माननिधि रोके जाने की फैसले को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार हमेशा की तरह जनविरोधी फैसला ले रही है जिसकी हम निंदा करते है। प्रदेश में करीब 300 मीसाबंदी है जिन्हें सम्माननिधि दिया जा रहा था, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने आदेश निकालकर सम्माननिधि नहीं देने की बात कही है।
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नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि सन् 1977 में केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने मौलिक अधिकारों का निलंबन कर दिया था और पूरे देश में आपातकाल लगा दिया गया था। इसके विरोध में जब देश में आवाज बुलंद होने लगी तो लाखों प्रदर्शनकारियों को जेल भेज दिया गया था। लम्बे अंतराल तक जेल में रहने के बाद और कांग्रेस के आम चुनावों में पराजय के बाद मीसाबंदियों की रिहाई हो सकी थी। उन्होंने कहा कि मीसाबंदियों को लम्बे समय तक प्रदेश के हमारी सरकार ने मीसाबंदियों की सम्माननिधि शुरू किया था जिसे अब वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है यह अनुचित है व लोकतंत्र की हत्या है।
मीसाबंदी राजनीतिक कार्यकर्ता रहे – सिंहदेव
मीसा बंदियों का पेंशन बंद करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि मीसाबंदी एक तरह से राजनीतिक कार्यकर्ता रहे। उनका देश की आजादी में कोई योगदान नहीं रहा। उन्हें सम्मान के स्वरूप पेंशन दिए जाने का हम सभी ने विरोध किया था। सरकार ने इस विषय पर निर्णय लिया है तो निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य है।
कांग्रेस प्रवक्ता की मांग पर खत्म किया गया मीसा कानून 2008
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा की उन्होंने लगातार मीसा बंदियों पर ख़र्च की जाने वाली लाखों-करोड़ो रुपयों की राशि वितरण पर रोक लगाने एवं मीसा कानून 2008 को तत्काल खत्म करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की थी।
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने बताया कि तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार द्वारा भाजपा और आरएसएस के नेताओं को खुश करने के लिए और अपना नंबर बढ़ाने के लिए वर्ष 2008 में कानून बनाकर मीसा बंदियों को राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया था जिसे सम्मान निधि कहा जाता था प्रदेश के उन भाजपा और आर एस एस के नेताओं का चयन करके जिनका न तो देश की आजादी की लड़ाई से कोई वास्ता था न तो कोई भी क्रांतिकारी वाला काम इनके द्वारा किया गया था फिर भी उन्हें मीसाबंदी घोषित किया गया और 25000 रुपए प्रति व्यक्ति से अधिक की राशि इन पर राजकीय कोष से खर्च किया जाता था जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के द्वारा अपनी राजनीति भाजपा और आरएसएस के नेताओं के सामने चमकाने के लिये किया जाता था।
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इन सम्मान निधियों में जो राशि खर्च की जाती थी उन्हें अब प्रदेश के बेरोजगार युवाओं आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले प्रतिभाओं पर खर्च किया जाना चाहिए ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके।
सेनानियों की सम्माननिधि बंद करना तानाशाही व लोकतंत्र की हत्या: उपासने
लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने प्रदेश सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान प्रताड़ित राजनीतिक व सामाजिक कारणों से जेलों में निरुद्ध किए गए मीसाबंदियों को पूर्व सरकार द्वारा प्रदत्त लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के नियमों को निरस्त कर सम्मान निधि बंद किए जाने के निर्णय को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि जब इसी सरकार ने जनवरी 2019 के अपने आदेश से लोकतंत्र सेनानियों के सत्यापन पश्चात माह फरवरी से सम्मान निधि यथावत दिए जाने के आदेश प्रसारित किए गए थे जिसका पालन 1 वर्ष तक नहीं किए जाने पर प्रदेश के लगभग 90 सेनानियों ने माननीय उच्च न्यायालय से न्याय की मांग की। उक्त याचिकाओं पर निर्णय पारित कर माननीय उच्च न्यायालय ने शासन को आदेशित किया कि सेनानियों की बकाया सम्मान निधि तत्काल ही दिया जावे व भविष्य में भी बंद ना किया जावे।