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पत्रकार सुरक्षा कानून देश में बनेगा नजीर -भूपेश

आज का दिन ऐतिहासिक – सीएम

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक, 2023 (क्रमांक 9 सन 2023) सर्वसम्मति से पारित हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग की जा रही थी। वर्तमान में पत्रकारों के साथ जो स्थिति बनी है, उसके बाद सुरक्षा प्रदान करना शासन की जिम्मेदारी हो जाती है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है, जहां पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून देश में नजीर बनेगा, स्वर्णीम अक्षरों में लिखा जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने विधेयक के खंडों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि साल 2019 में जस्टिस आफताफ आलम की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। समिति के सदस्यों ने विभिन्न मीडिया संस्थानों और मीडियाकर्मियों से सुझाव लिए। बस्तर, अंबिकापुर और रायपुर में भी पत्रकारों के बीच जाकर चर्चा की गई। दिल्ली में भी जाकर एडीटर गील्ड से कानून के बारे में सुझाव मांगे गए। इतना ही नहीं, आॅनलाईन सुझाव भी लिए गए। उन्होंने बताया कि तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद इस विधेयक के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने पत्रकारों के साथ-साथ समिति के सदस्यों का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।

उन्होंने यह भी बताया कि इस विधेयक में अधिमान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया संस्थान, स्ट्रिंगर, उपसंपादक, संवाददाता, प्रेसकर्मी सभी के लिए प्रावधान किए गए है। यह मूल विधेयक है, आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो संसोधन भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री  श्री बघेल ने इस कानून के तहत शिकायत की जांच और गलत शिकायत को लेकर भी प्रावधान किए गए है। उन्होंने पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने में पूरी पारदर्शिता बरती है। इंटरनेट में समिति के दौरे से लेकर पत्रकारों के सुझाव भी डाले गए है। मुख्यमंत्री श्श्री बघेल के उद्बोधन के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष ने इस विधेयक को सर्वसममति से पारित किया गया।

पत्रकार सुरक्षा कानून पर सदन में जमकर तकरार

विधेयक भले ही सर्वसम्मति से पारित हुआ, मगर विधानसभा में छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक, 2023 को लेकर विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर तकरार हुई। विपक्ष ने विधेयक का समर्थन करते हुए सुझाव दिया कि इसके प्रावधानों पर पुर्नविचार किया जा सकता है,इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजा जाए। सत्तापक्ष ने इसका विरोध किया और विरोध लगातार बढता गया। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के इस सुझाव का सत्तापक्ष ने विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि जस्टिस की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी, मगर रिपोर्ट का अधिकांश हिस्सा विलोपित कर दिया गया, इसलिए रिपोर्ट सदन के पटल में रखा जाना चाहिए। विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधेयक अच्छा है, मगर केवल प्रभावशाली पत्रकारों को ही इसकी सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के पत्रकार सबसे ज्यादा प्रताड़ित है। इस विधेयक से सत्तापोषित पत्रकारों को ही लाभ होगा,इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए। विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच इस मुद्दे पर जमकर तकारर हुई। आखिर में विपक्ष ने बिना चर्चा के ही सर्वसम्मति से पारित करने की मांग की।

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