पदयात्रा में सैकड़ों सभाएं हुई, लाखों से मिले संत, धर्मांतरण से बचने की दी नसीहत

रायपुर. चारों दिशाओं से पदयात्रा करने वाले संतों की 45 सौ किलोमीटर की यात्रा में लाखों लोगों से मुलाकात हुई। यात्रा में लाेगाें काे धर्मांतरण न करने के साथ धर्मांतरण को रोकने की नसीहत भी दी गई। छुआछूत के जहर का अंत करने जहां दलितों के घरों पर भोजन किया गया, वहीं छुआछूत का अंत करने की अपील भी की गई। चारों दिशाएं में सैकड़ों सभाएं हुईं।
संयोजक महंत सर्वेश्वर दास ने कहा, आज सनातन धर्म को समाप्त करने की साजिश हो रही है। यानी मानवता को समाप्त करने के प्रयास हो रहे हैं। सनातन धर्म ही तो मानवता है। अगर यही समाप्त हो जाएगा तो क्या बचेगा। उन्होंने कहा, सनातन धर्म के बारे में भ्रांति फैला रहे हैं। रामायण के बारे में टिप्पणी करते हैं। तुलसीदास को गाली दी जा रही है। आस्था को लेकर हमला हो रहा है। हनुमान चालीसा को ढोंग बता रहे हैं। उन्होंने कहा, यात्रा में हिंदुओं को जगाने का काम किया गया है। सभी चाहते हैं भारत हिंदू राष्ट्र बने।
राजनीति करने वाले वर्ग में बांटते हैं लाेगाें काेः राकेश महाराज
राकेश महाराज का कहना है, हम लाेगों ने यात्रा के दौरान जिनसे भी मुलाकात की, उनको हिंदू धर्म के बारे में बताया कि हम सब हिंदू हैं। केवल राजनीति करने वाले ही कहते हैं कि ये बनिया है, ये ब्राम्हण है, यह आदिवासी है, यह दलित है। सभी सनातन धर्म को मानने वाले हैं और सभी हिंदू है। इसी के साथ हिंदू राष्ट्र की बात जहां भी की गई, सभी ने कहा, हम भी चाहते हैं भारत हिंदू राष्ट्र बने। हम लोगों ने सभी से कहा, आप जब भी अपने जनप्रतिनिधियों से मिले तो उनसे कहें विधानसभा से लेकर राज्यसभा और लोकसभा में हिंदू राष्ट्र की मांग रखी जाए।
आदिवासी ही सच्चे सनातनी: त्रिवेणी दास
दंतेश्वरी माता के दरबार से यात्रा का आगाज करने वाले त्रिवेणी दास का कहना है, सच्चे हिंदू और सनातनी तो हमारे आदिवासी हैं। जब हम लोग वनांचलों के गांव तक गए तो वहां पर हम लोगों का जिस तरह से स्वागत सत्कार हुआ, उससे लगा आज हिंदू संस्कृति कहीं जिंदा है तो वह आदिवासियों के बीच वनांचल में ज्यादा है। वन बंधुओं को लगा उनके बीच देवता आ गए हैं। सभी संतों का पैर धोकर स्वागत किया गया। उन्होंने कहा सच्चाई तो यही है कि वेद ग्रंथों की रचना भी वनांचल में हुई है। आदिवासी चाहते हैं भारत हिंदू राष्ट्र बने।
नक्सली क्षेत्र में नहीं ली सुरक्षा
त्रिवेणी दास से बताया, बस्तर के नक्सल क्षेत्र में सुरक्षा लेने की बात पुलिस प्रशासन ने की, लेकिन हम लोगों ने मना कर दिया। नक्सली भी हमारे अपने हैं। उनसे कैसा डर। वे रास्ता भटक गए हैं। एक न एक दिन उनको समझ आएगी और वे लौट आएंगे। परमात्मा नंद ने कहा, यात्रा में धर्मांतरण से बचने के लिए सभी से कहा गया। इसी के साथ भेदभाव दूर करके छुआछूत से भी दूर रहने का संदेश दिया गया। उन्होंने बताया, जहां भी गए, सबकी आंखों में सम्मान दिखा और सभी ने हिंदू राष्ट्र की बात की है।